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Showing posts from September, 2022

सरकार के साथ व्यापारियों की संवादहीनता!!!

किसी भी देश के संचालन एवं विकास के साथ सभी प्रकार कार्य सम्पन्न करने के लिए सरकार को नियमितरुप से धन की आवश्यकता बनी रहती है। सरकार को विभिन्न प्रकार के राजस्व के रुप में धन प्राप्त होता है। भारत में राजस्व संग्रह के मुख्य स्रोत प्रत्यक्ष कर जैसे आयकर एवं अप्रत्यक्ष कर माल एवं सेवाकर प्रणाली हैं। यदि हम देश के आजादी के समय से राजस्व संग्रह का अध्ययन करते हैं तो परिणाम यह है कि राजस्व संग्रह के देश में 1948 में ‘केन्द्रीय बिक्रीकर अधिनियम’ के साथ राज्यों में ‘राज्य बिक्रीकर अधिनियम’ लागू करते हुए केन्द्र व राज्य सरकारों के संग्रह का स्रोत पैदा किया गया। इधर प्रत्यक्ष कर प्रणाली के अन्तर्गत ब्रिटिश शासन द्वारा 1882 में आयकर कानून बनाया, तत्पश्चात समय की आवश्यकता के अनुरुप और उद्योगों की प्रगति के अनुसार 1922 में नया आयकर कानून बना। लेकिन आजादी के बाद पूर्ववर्ती आयकर कानून को बदलते हुए 1961 में नया कानून को लागू एवं प्रभावी किया गया। इन कानून के माध्यम से भारत के श्रेष्ठियों (धन्नासेठों) से आयकर वसूलने की प्रक्रिया लागू की। 1961 में बनाये गये आयकर कानून भी पूराने कानून को नई व्यवस्था के स

भारत पूर्व में ही विश्व की बड़ी अर्थव्यवस्था थी!!

  आजकल देश के समाचार पत्रों में बड़ा उल्लेख हो रहा है कि भारत विश्व की छठवी अर्थव्यवस्था में शामिल हो गया है। कहा यहां तक जा रहा है कि दुनिया में सबसे तेज गति से बढ़ रही भारतीय अर्थ व्यवस्था का आकर 2047 तक 20 लाख करोड़ डाॅलर हो जाएगा। यह भी संभावना व्यक्त की जा रही है कि अगले 25 वर्षो में औसत वृ(ि दर वार्षिक वृ(ि दर 7-7.5 प्रतिशत हो। हम आपका ध्यान प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) के चेयरमैन बिबेक देबराॅय के बयान पर आकृष्ट करना चाहते हैं, ‘भारत के लिए प्रतिस्पर्धात्मकता का मसौदा /100’ जारी करते हुए उनके द्वारा कहा गया कि पीएम मोदी ने 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। लेकिन महत्वपूर्ण यह भी है कि भारत के विकास के लिए राज्यों की वृ(ि भी महत्वपूर्ण है। आगे कहा कि आर्थिक वृ(ि की गति 7-7.5 प्रतिशत को नियमित बनी रही तो 2047 तक बनी रही तो अर्थव्यवस्था का आकार 20 लाख करोड़ डाॅलर से थोड़ा कम होगा। साथ ही कहा कि वर्तमान में दुनिया का छठवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का आकार 2.7 लाख करोड़ डाॅलर है।  हमको एक 1947 के उस आंकडे़ ध्यान देना होगा कि आजादी के समय