Posts

Showing posts from May, 2022

बुलंदशहर जिले - ‘बरन’

भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के बुलंदशहर जिले में एक प्राचीन शहर है। बुलंदशहर जिले का प्रशासनिक मुख्यालय और दिल्ली एनसीआर क्षेत्र का हिस्सा है। भारत सरकार के अनुसार, जनसंख्या, सामाजिक-आर्थिक संकेतकों और बुनियादी सुविधाओं के संकेतकों पर 2011 की जनगणना के आंकड़ों के आधार पर, बुलंदशहर जिला भारत के अल्पसंख्यक केंद्रित जिलों में से एक है।  वर्तमान में बुलंदशहर और नई दिल्ली के बीच की दूरी 68 किमी है। बुलंदशहर का एक प्रारंभिक इतिहास और इसके नाम की उत्पत्ति ब्रिटिश जिला मजिस्ट्रेट और भारतीय सिविल सेवा के कलेक्टर, फ्रेडरिक सैल्मन ग्रोसे द्वारा 1879 में जर्नल आॅफ द एशियाटिक सोसाइटी आॅफ बंगाल में प्रकाशित ‘बुलंदशहर एंटीक्विटीज’ नामक एक पेपर में दी गई है।  बुलंदशहर की स्थापना राजा अहिबरन द्वारा ‘बरन’ के रुप में की गई थी।, चूंकि यह एक उच्च भूमि ;किलेनुमा स्थान पर बसा हुआ हैद्ध पर स्थित था, अतः मुगलों द्वारा फारसी भाषा में इय शहर का नाम ‘बुलन्द’ पड़ गया। चूंकि एक शहर के रुप में विकाित हो गया, अतः ‘बुलन्द’ के आगे -शहर’ भी जोड़ दिया गया। इसलिए इसे ‘उच्च शहर’ के रुप में जाना जाने लगा, (फारसीः بلند شهر), जो

भूतेश्वर महादेव मंदिर कर्णवास

Image
 माँ कल्याणी मंदिर से लगभग १ मील की दूरी पर ठीक पूर्व में स्थित भगवन भूतेश्वर का प्राचीन मंदिर है । लघु आकर के प्राचीन किले में स्थित इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग सिद्ध शिवलिंग है । अनेक संत महात्माओं ने भूतेश्वर नाम से प्रसिद्द भूतेश्वर भगवान की सिद्ध्मत्ता अवं चमत्कारिक प्रसंगों का उल्लेख अपने ग्रंथो में किया है भक्तो की मान्यता है की भगवन भूतेश्वर से की गयी मनो कामना अवश्य पूर्ण होती है । वर्त्तमान मंदिर के निर्माण  का प्राप्त इतिहास भी बड़ा रोचक है कहा जाता है की आज से लगभग २५० वर्ष पूर्व यह मंदिर इस स्थान पर न होकर गंगा जी के सर्वथा तट पर था वही पक्का घाट था । इस मंदिर के सामने इमली का अति प्राचीन अवं अति विशाल वृक्ष खड़ा है यह भी ४०० वर्ष से कम पुराना नहीं है । इसी वृक्ष के सामने शिव मंदिर था । जो श्री गंगा जी ने कटाव करके अपने में समेट लिया उन दिनों यहाँ एक विरक्त महात्मा श्री रणधीर दास जी निवास करते थे वे आगरा जनपद के रहने वाले थे । यही एकांत में बने इस मंदिर में भगवन शिव की सेवा और गंगा स्नान करते थे मंदिर को गंगा जी में कटते गिरते देखकर उन्होंने भगवन शिव के इस दिव्या शिव लिंग

बुलंदशहर : नगर के प्राचीन राजराजेश्वर मंदिर, भवन मंदिर, भूतेश्वर मंदिर, कालेश्वर मंदिर, साठा देवी मंदिर,

  बुलंदशहर। सावन के पहले सोमवार को नगर के शिवालय बम-बम भोले की गूंज से गुंजायमान हो उठे। शिवालयों में भगवान शिव को दूध, बेलपत्र, धतूरा, भांग के पत्तों से अभिषेक किया गया। जगह-जगह भंडारे लगे। सावन मास के पहले सोमवार को नगर के प्राचीन राजराजेश्वर मंदिर, भवन मंदिर, भूतेश्वर मंदिर, कालेश्वर मंदिर, साठा देवी मंदिर, शीतलगंज स्थित शिवालय मंदिर, पंचशील कालोनी स्थित मंदिर, गौरीशंकर मंदिर, सिद्धेश्वर, टीचर्स कालोनी स्थित शिव शक्ति मंदिर पर जलाभिषेक करने के लिए भोले के भक्तों की भीड़ रही। इस दौरान सुबह-सवेरे से ही मंदिरों के कपाट खोल दिए गए। वहीं, काफी संख्या में महिला और पुरुष श्रद्धालुओं ने भगवान शिव की अराधना कर व्रत भी रखा। इसके अलावा नगर में सेवादारों द्वारा भंडारों का आयोजन किया गया। वहीं, डिबाई क्षेत्र के कर्णवास, राजघाट, विहारघाट, नरवर आदि गंगा तटों पर श्रद्धालुओं ने स्नान कर शिवालयों में पहुंचकर भगवान शिव का जलाभिषेक किया। कर्णवास में भूतेश्वर महादेव, विहारघाट में वनखंडेश्वर महादेव के अलावा नगर के कैलाश ज्ञान मंदिर, संकट मोचन मंदिर, पथवारी देवालय, काले मंदिर आदि में श्रद्धालुओं की भीड़ ल