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Showing posts from 2015

प्रदूषणमुक्त आगरा बनाम सोलर सिटी

वैसे तो आगरा पयर्टन की दृष्टि से विश्व स्मारक ताजमहल के साथ अन्य महत्वपूर्ण ऐतिहासिक इमारतों के कारण विश्व पटल पर अपना महत्वपूर्ण स्थान रखता है। परन्तु यदि औद्योगिक इतिहास पर प्रकाश डालें तो उद्योग की नगरी कहने में कोई हिचक नहीं होनी चाहिए। परन्तु प्रश्न उठता है कि हम आगरा को पयर्टन नगरी कहें अथवा उद्योग नगरी। क्योंकि दोनों की क्षेत्र में आगरा पिछड़ा ही नजर आता है। यदि सरकारी क्षेत्र में कार्य की बात करें तो सरकारी विभागों के लिए ताजमहल एक दुधारु गाय के समान है, ताजमहल विपुल मात्रा में आय का स्रोत भी बन चुका है उधर आगरा के परम्परागत उद्योग जो कि भारत सरकार को विदेशी मुद्रा का भुडार भरने में महती भूमिका निभा रहे हैं। परन्तु आगरा और आगरा के उद्योगों के साथ प्रदूषण रहित आगरा बनाने में सरकारी उदासीनता लगातार बनी हुई है। ज्ञातव्य है कि माननीय उच्चतम न्यायालय भी ताज महल के संरक्षण को लेकर गंभीर है उनका यह प्रयास है कि विश्व स्मारक ताजमहल को प्रदूषण से बचाए रखना बेहद आवश्यक है इसके लिए माननीय उच्चतम न्यायालय ने विभिन्न आदेश पारित कर रखें हैं परन्तु उन आदेशों पर कितनी गंभीरता देखी गई है। यह

पार्टी (सांसदों) में आक्रमक राजनीति का अभाव

गत 26 मई 2014 को हमारे प्रिय नरेन्द्र भाई द्वारा प्रधानमंत्री पद ग्रहण करने के बाद देशहित में अनेक निर्णय लिए। जिसमें महत्वूर्ण निर्णय था ‘भूमि अधिग्रहण बिल’ का था। जिसको राज्यसभा में पूर्ण बहुमत न होने के कारण पारित नहीं करवा सके, उधर विपक्ष के पास कोई मुद्दा न होने के कारण उन्होंने ‘भूमि अधिग्रहण बिल’ को मुद्दा बनाकर पूरे देश में हो-हल्ला मचा दिया। जिस पर भाजपा के कर्णदारों, जिसमें सांसद भी शामिल हैं, कोई आक्रमक रुख नहीं अपना पाए जिसके कारण विपक्ष हावी हुआ, जबकि वास्तविकता यह रही कि बरसात के कारण किसानों की आपदा में यह मुद्दा जुड़ गया और विपक्ष अपने उद्देश्य में सफल नहीं हो पाया हां, वह भाजपा की कमजोरी को पकड़ कर अन्य महत्वपूर्ण बिल ‘जीएसटी’ को राज्यसभा की प्रवर समिति के पास भेजने में सफल हो गया, जिसके कारण जीएसटी के लागू होने का समय बढ़ गया।  देखने में आ रहा है कि 2014 के लोकसभा के चुनाव में अधिकतर लोकसभा के प्रत्याक्षी सांसद का चुनाव जीत गए परन्तु उनके अंदर उतनी योग्यता दिखायी नहीं पड़ रही है। एक समय वह भी था कि जब मजबूत विपक्ष की भूमिका निभाने में भाजपा की ओर से स्वर्गीय प

देश का औद्योगिकीकरण विस्तार: एक अपराध!!!

जब से देश में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार सत्तारुढ़ हुई है तब से विपक्षी दलांे एक ही आरोप लगा रहे हैं कि मोदी सरकार उद्योगपतिओं की सरकार है, देश में औद्योगिकीकरण को बढ़ावा देना ही इस सरकार का मुख्य ऐजेंडा है। एक बात और कहते हैं कि सरकार किसान विरोधी है, साथ ही दलित विरोधी भी बताने मंे हिचक नहीं करते। यह बात ठीक है कि विरोध दल बने ही विरोध की राजनीति के लिए परन्तु विरोध उतना ठीक रहता जितना उचित हो।  देश की आजादी 66 वर्षो के बाद देश के उद्योगों को संरक्षण मिलने लगा है। तो हो-हल्ला क्यों? इस प्रश्न के पीछे हम ही अपने विरोधी दलों के नेताओं से एक प्रश्न पूछ लेते हैं। क्या देश में उद्योगों को संरक्षण देना अथवा विस्तार करना राष्ट्र विरोध कार्य है? फिर जब इन नेताओं को चुनाव के अतिरिक्त कोई भी आपदा होने पर किसानों, दलितों और अल्पसंख्यकों वर्ग के लिए करोड़ों रुपये के मुआबजे मांग की जाती है तो उनके मांग के अनुरुप यह रुपया कहां से और कैसे आता है? इस प्रश्न का उत्तर यह विरोधी दल दे सकेंगे? अपनी राजनीति की रोटी सेकने के लिए कुछ भी आरोप लगा दें, सत्ता में बैठकर तुष्टीकरण की राजनीति को ध

रेल बजट 2015: सुनायी देती आहटें

गत 26 फरवरी को रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने वर्ष 2015-16 के लिए रेल बजट संसद पटल पर प्रस्तुत किया। आशानुरुप कोई नई रेल की शुरु करने की घोषणा के साथ अन्य आशातीय योजना नदारद दिखी। विपक्ष का तीखी टिप्पणी भी सुनाई पड़ी।    रेल मंत्री ने प्रस्तुत बजट में पुरानी चल रही रेल व्यवस्था, सुरक्षा, संरचना और बुनियादी विकास पर जोर दिया गया साथ ही उनके विकास के लिए रेल बजट में व्यवस्था की गई। साथ ही पूर्व से चल रही कुछ टेªनों कह गति ;स्पीडद्ध को बढ़ाने की लक्ष्य रखा गया है। अच्छा प्रयास के साथ अच्छी इच्छाशक्ति कही जा सकती है। क्योंकि मुख्य बात यह है कि लगभग पिछले 12 सालों से जो भी रेलमंत्री बजट रखते आएं है उनके द्वारा अपने राज्य हित में अथवा राजनीतिक तुष्टीकरण में नई रेलों के संचालन को बढ़ाते चले गए। स्थिति यह आ गई कि दिल्ली-कोलकत्ता रुट पर आज प्रति 7 मिनट में एक रेल गाड़ी दौड़ रही है, जिनमें मालगाड़ी भी शामिल हैं। लेकिन लगभग 25 से 30 साल टेªकों को बदलने अथवा उसकी क्वालिटी सुधारने की घोषणा किसी भी रेलमंत्री ने नहीं की। परिणाम यह सामने आने लगा कि आज लगभग सभी रुट पर सभी रेल गाडि़यों का परिचालन अत्यन

भारत का सबसे बड़ा उद्योग: पयर्टन उद्योग पर ध्यान दे प्रधानमंत्री जी

निःसंदेह यह सत्य है कि विश्व में भारत मात्र एक ऐसा देश में जहां पर पयर्टन जिसमें ऐतिहासिक, पौराणिक एवं आध्यात्मिक की दृष्टि से भरपूर है, साथ ही अपनी विरासत, संस्कृति एवं परम्परा दी है। यदि कोई पयर्टन पूरे भारत को गहराई से जानना चाहता है तो उसकी एक जिंदगी भी भारत को जानने के लिए कम ही पड़ जाएगी। आप भारत के किसी भी शहर, क्षेत्र, राज्य अथवा सुदूर चले जाएं यहां तक की किसी घनघोर जंगल में भी चले जाएंगे तो कुछ न कुछ ऐसी धरोहर मिल जाएगी जिसको जानने के लिए आपको पूरा समय तो देना ही होगा फिर में आप महसूस करेंगे कि अभी बहुत कुछ जानना बाकी है। यहां पर किसी विशेष राज्य की तारीफ नहीं करेगें बल्कि कुछ राज्यों का उदाहरण मात्र दे सकते हैं।  क्षेत्रीय स्तर के विकास बोर्ड का गठनः अभी हाल ही में राज्य सरकार ;उत्तर प्रदेशद्ध ने ब्रज क्षेत्र ;मथुरा व आसपास के क्षेत्रद्ध के विकास के लिए ब्रज मंडल विकास बोर्ड का गठन किया है। जो कि ब्रज क्षेत्र का समुचित विकास योजनाब( तक तरीके से करेगी। हमारा सुझाव है कि केन्द्र सरकार को भी क्षेत्रीय स्तर पर अर्थात दो या तीन राज्यों को मिलाकर एक विकास बोर्ड का गठन करना

उत्तराखंड की प्रलय हादसा

उत्तराखंड राज्य के गठन के पूर्व में 1993 में भारी भूकंप आया जिसमें उत्तरकाशी व अन्य क्षेत्रों में भारी नुकसान हुआ जिसकी भरपायी नहीं हो पायी थी कि राज्य बनने के बाद जून 2013 जलप्रलय के रुप में भारी विनाशालीला देखने को मिली। दुःखद पहलू यह भी है कि हमारी केन्द्र तथा राज्य की सरकारें 1993 के बाद भी नहीं चेती। 2013 में उत्तराखंड राज्य के प्रमुख पावन स्थन केदारनाथ में भंयकर जल प्रलय ने सारे क्षेत्र को तहस-नहस कर दिया, प्राप्त समाचारों के अनुसार लाखों की जानें गई, हजार-करोड़ों का नुकसान हुआ जिसका सही-सही आंकलन राज्य अथवा केन्द्र सरकार नहीं कर पाई। हां, प्रलय के बाद सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाओं के अध्ययन रिपोर्ट अवश्य ही समाचार-पत्रों में प्रकाशित होती रही, आज भी हो रही है। रिपोर्ट में भविष्य के लिए चेतावनी भी शामिल हैं। अभी हाल ही में दैनिक अमर उजाला में एक चेतावनी स्वरुप समाचार प्रकाशित हुआ। इस चेतावनी का भी यही सारांश था कि निकट भविष्य में और भी आफत आ सकती है।  मैं अपने अनुभव के साथ अध्ययन-विचार आप सभी के साथ बांटना चाहता हूं। परन्तु पहले आपको बता दूं कि मैं कोई भू-वैज्ञानिक नहीं हूं

केवल राजस्व वृ(ि की ही चिंता करना उचित है!

उत्तर प्रदेश का वाणिज्य कर विभाग वैसे तो विभाग में भ्रष्टाचार को कमी करने के उद्देश्य से विभाग को पूरी तरह से कम्प्यूटरीकृत करते हुए व्यापारियों को सुविधाएं देने का दावा करता है। परन्तु राजस्व की बहुत चिंता करता है, करे भी क्यों नहीं लेकिन हमारा कहना है प्रयास तो करें लेकिन ईमानदारी से करेंगे तो संभवतः सभी को सहयोग प्राप्त होगा लेकिन बस राजस्व बढ़ाने के लिए ‘कुछ भी करेंगे’ की तर्ज पर मंजूर नहीं है। विभागीय अधिकारी यह भूल जाते हैं कि आज देश की न्यायपालिका अब बहुत सक्रिय भूमिका निभा रही है। उदाहरण ही ले वैट एक्ट की धारा-54;1द्ध;22द्ध के अन्तर्गत समयसीमा के अंदर वार्षिक विवरणी दाखिल न करने पर विभाग ने व्यापारियों पर रु0 दस हजार की पेनल्टी का आरोपण प्रारम्भ कर दिया परन्तु माननीय अधिकरण का इस आदेश के विपक्ष में निर्णय आया और व्यापारी वर्ग ने राहत की सांस ली।  अब विभाग ने एक परिपत्र ;संख्या 1415100 दि. 08 दिसम्बर 14द्ध जारी किया जिसमें आदेश दिया है कि दाखिल मासिक रुपपत्रों का परीक्षण नहीं किया जा रहा अतः निर्देशित किया जाता है 0.5 प्रतिशत से कम टैक्स जमा करने का औचित्यपूर्ण एवं नियमानु

मेक इन इंडियाः कितना बना उत्साह का माहौल

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गत 15 अगस्त को लालकिले से प्राचीर से देश के औद्योगिकीकरण के लिए ‘मेक इन इंडिया’ का घोषणा, लगातार अपने प्रत्येक विदेशी दौरे में इस घोषित कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए प्रयासरत है। साथ ही इस कार्यक्रम के अन्तर्गत ही देश के पिछड़े राज्यों में ‘मेक इन इंडिया’ के अन्तर्गत ही विशाल उद्योगों की स्थापना करने का प्रयास कर दिया है। बधाई! लेकिन हम अपने पाठकों की ओर से प्रधानमंत्री जी को यह मशविरा देना चाहते हैं कि एक साल व्यतीत हो जाने बाद इस बिन्दु पर भी मंथन करना चाहिए कि देश में अभी तक मेक इन इंडिया के अन्तर्गत कितना उत्साह बन पाया। क्योंकि उत्साह के साथ मोदी का समर्थन करने वाले देश के पूंजीपति वर्ग और विदेशी निवेशक यमुदाय का मेक इन इंडिया के प्रति मोह भंग तो नहीं हो रहा, यह सत्य है कि आज भी देशी व विदेशी निवेशक घबराया हुआ नजर आ रहा है क्योंकि देश की अर्थव्यवस्था में अपेक्षित बदलाव नहीं आ पाया है जबकि कुछ लोग मोदी की ओर संदेह का लाभ दे रहे हैं क्योंकि उनका मानना है उनका इरादा तो नेक है और देश के औद्योगिक माहौल बनान चाहते हैं’ इस क्रम में प्रमुख उद्योगपति रतन

भारत का सबसे बड़ा उद्योग: पयर्टन उद्योग पर ध्यान दे प्रधानमंत्री जी

निःसंदेह यह सत्य है कि विश्व में भारत मात्र एक ऐसा देश में जहां पर पयर्टन जिसमें ऐतिहासिक, पौराणिक एवं आध्यात्मिक की दृष्टि से भरपूर है, साथ ही अपनी विरासत, संस्कृति एवं परम्परा दी है। यदि कोई पयर्टन पूरे भारत को गहराई से जानना चाहता है तो उसकी एक जिंदगी भी भारत को जानने के लिए कम ही पड़ जाएगी। आप भारत के किसी भी शहर, क्षेत्र, राज्य अथवा सुदूर चले जाएं यहां तक की किसी घनघोर जंगल में भी चले जाएंगे तो कुछ न कुछ ऐसी धरोहर मिल जाएगी जिसको जानने के लिए आपको पूरा समय तो देना ही होगा फिर में आप महसूस करेंगे कि अभी बहुत कुछ जानना बाकी है। यहां पर किसी विशेष राज्य की तारीफ नहीं करेगें बल्कि कुछ राज्यों का उदाहरण मात्र दे सकते हैं।  क्षेत्रीय स्तर के विकास बोर्ड का गठनः अभी हाल ही में राज्य सरकार (उत्तर प्रदेश) ने ब्रज क्षेत्र (मथुरा व आसपास के क्षेत्र) के विकास के लिए ब्रज मंडल विकास बोर्ड का गठन किया है। जो कि ब्रज क्षेत्र का समुचित विकास योजनाब( तक तरीके से करेगी। हमारा सुझाव है कि केन्द्र सरकार को भी क्षेत्रीय स्तर पर अर्थात दो या तीन राज्यों को मिलाकर एक विकास बोर्ड का गठन करना चाहिए त

सरकार व्यापारियों का भी डाटा तैयार करे!

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लगभग सभी क्षेत्र में डाटा अपडेट करने के लिए तत्पर नजर आ रहे हैं। इस पर हमारा सुझाव है कि देश के व्यापारियों एवं करदाताओं का भी ‘डाटा’ तैयार होना चाहिए। तैयार किये जाने वाले डाटा में व्यापारी से संबन्धित सही जानकारी एकत्र किये जाना चाहिए जिसमें व्यापार से संबन्धित परेशानियां, विभागीय उत्पीड़न, कर्ज, लागत, लाभ आदि का भी डाटा तैयार कराना चाहिए, ताकि व्यापारी को भी उसके संकट आने पर सरकार की ओर से मदद अथवा सहयोग मिल सके। देखने में यह आता है कि प्राकृतिक आपदा हो जाने पर किसानों को फसलों में होने वाले नुकसान की भरपायी सरकार द्वारा की जाती है और इसके लिए परम हितैषी राजनीतिक दलों द्वारा राजनीति शुरु हो जाती है। परन्तु देश के व्यापारियों जो करदाता है जिसकी संख्या मात्र 3 से 4 प्रतिशत ही है, की किसी को कोई चिंता कभी नहीं रही बल्कि उनसे विभिन्न करों के नाम वसूली होने लगती है। क्या कभी किसी सरकार ने यह आंकड़े एकत्र किये हैं कि कौन से प्रदेश में कितने उद्यमी, व्यापारियों ने कर्ज के चलते आत्महत्या की? क्या कोई व्यापारी व्यापारिक संकट के चलते कितनी गंभीर बीमारी को शिक

उत्तराखंड की प्रलय हादसा

उत्तराखंड राज्य के गठन के पूर्व में 1993 में भारी भूकंप आया जिसमें उत्तरकाशी व अन्य क्षेत्रों में भारी नुकसान हुआ जिसकी भरपायी नहीं हो पायी थी कि राज्य बनने के बाद जून 2013 जलप्रलय के रुप में भारी विनाशालीला देखने को मिली। दुःखद पहलू यह भी है कि हमारी केन्द्र तथा राज्य की सरकारें 1993 के बाद भी नहीं चेती। 2013 में उत्तराखंड राज्य के प्रमुख पावन स्थन केदारनाथ में भंयकर जल प्रलय ने सारे क्षेत्र को तहस-नहस कर दिया, प्राप्त समाचारों के अनुसार लाखों की जानें गई, हजार-करोड़ों का नुकसान हुआ जिसका सही-सही आंकलन राज्य अथवा केन्द्र सरकार नहीं कर पाई। हां, प्रलय के बाद सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाओं के अध्ययन रिपोर्ट अवश्य ही समाचार-पत्रों में प्रकाशित होती रही, आज भी हो रही है। रिपोर्ट में भविष्य के लिए चेतावनी भी शामिल हैं। अभी हाल ही में दैनिक अमर उजाला में एक चेतावनी स्वरुप समाचार प्रकाशित हुआ। इस चेतावनी का भी यही सारांश था कि निकट भविष्य में और भी आफत आ सकती है।  मैं अपने अनुभव के साथ अध्ययन-विचार आप सभी के साथ बांटना चाहता हूं। परन्तु पहले आपको बता दूं कि मैं कोई भू-वैज्ञानिक नहीं हूं

जीएसटी की मूल भावना भारतीय हो!

केन्द्र सरकार देश में नई कर प्रणाली जीएसटी को लागू करने के सतत् प्रयासरत है। वादा भी किया है देश में अपै्रल 2016 में जीएसटी लागू कर दिया जाएगा। लोकसभा में संशोधन विधेयक प्रस्तुत किया जा चुका है संभवतः तत्पश्चात शीघ्र ही राज्यों की विधान सभाओं में प्रस्तुत कर पारित करवा लिया जाएगा, पारित होने के बाद जीएसटी के एक्ट का निर्माण होना है। लेकिन हमारी केन्द्र एवं राज्य सरकार से मांग है कि प्रस्तावित जीएसटी एक्ट की मूल भावना ‘भारतीय’ होनी चाहिए। हमारी यह मांग के पीछे कुछ कारण है। कारण यह है कि हमारे संविधान में अभी तक विद्यमान लगभग सभी अधिनियम ब्रिटिश काल के ही हैं, आपको स्मरण होगा कि 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के बाद ईस्ट इंडिया कम्पनी का अस्तित्व समाप्त होकर पूरी तरह से ब्रिटिश क्राउन का राज भारत में कायम हो गया था तत्पश्चात भारत के लिए संविधान का निर्माण हुआ परन्तु भारत के संविधान का निर्माण ब्रिटिश संसद में हुआ, निश्चय ही उस निर्माण की भावना भारत पर राज करने की थी, अतः सभी निर्मित एक्ट में ऐसी भावनाओं को समाहित हो गई जिससे ब्रिटिश अधिकारी भारत की जनता पर येन-केन-प्रकरेण शासन कर

भारत का समग्र (औद्योगिक) विकास

नरेन्द्र दामोदर दास मोदी ने देश के प्रधानमंत्री पद का भार संभालने के साथ ही देश की समग्र विकास के लिए विदेशी निवेश के लिए सफल प्रयास शुरु कर दिये है। उन्होंने अपनी प्रत्येक विदेश यात्रा में जिनमें मुख्यतः जापान, अमेरिका और आस्ट्रेलिया में देश के औद्योगिक व अन्य क्षेत्र के विकास के लिए विदेश में रह रहे अप्रवासी भारतीयों के साथ विदेशी उद्योगपतिओं को भारत में निवेश करने का आमंत्रण दिया, जिसको सभी ने सहर्ष स्वीकार किया।  अभी हाल ही में गुजरात में आयोजित ‘अप्रवासी भारतीय सम्मेलन के बाद बाइव्रेंट इंडिया के सफल आयोजन में भी भारत के औद्योगिक विकास के साथ अन्य क्षेत्र के बुनियादी ढांचे के स्थायी विकास के लिए भी विदेशी निवेश को आकर्षित किया। समाचार के अनुसार उत्तर प्रदेश में ही लगभग 25 हजार करोड़ रुपये का निवेश के समाचार प्राप्त हुए।  वैसे देश की आजादी के बाद भी देश के औद्योगिक विकास के साथ औद्योगिक क्षेत्र में सहायक सेवाएं जैसे रेल सेवा व पिछड़े राज्य जिनमें वन व भू-संपदा के उत्खनन के साथ उनका पूरी तरह विकास के लिए प्रयोग करना और पिछड़े राज्यों में व्याप्त पिछड़ापन को समाप्त करने की चु

बरन प्रदेश बनाम बुलन्दशहर

बरन प्रदेश, जिसका वर्मतान में प्रचलित नाम बुलन्दशहर है, जोकि काली नदी के किनारे और राष्ट्रमार्ग-65 पर बसा हुआ है। कहा जाता है कि प्राचीन काल में ‘बरन प्रदेश’ पांचाल प्रदेश का ही हिस्सा था। लेकिन तथ्य यह भी है कि कौरव काल में यह क्षेत्र ब्रज प्रदेश में आता था और तत्कालीन शासक महाराजा अग्रसेन के ही राज्य का हिस्सा था लेकिन कौरव राज दुर्योधन ने यह हिस्सा काट कर अपने प्रिय मित्र ‘कर्ण’ को भेंट कर दिया था, जिसका नामकरण ‘वत्स प्रदेश’ रखा गया। जोकि पांचाल प्रदेश का हिस्सा बना । आज यह क्षेत्र ‘कर्णवास’ नाम से जाना जाता हैजोकि गंगा नदी के किनारे आज भी छोटे से गांव के रुप डिबाई तहसील में में बसा हुआ है। बरन शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के इसी शब्द ‘वरण’ के हुई है। काली नदी के पश्चिमी तट पर स्थित टीले पर बसे होने के कारण यह नगर आज  बुलन्दशहर के नाम से जाना जाता है। पिछले 3000 वर्षों में जिन किलों तथा किलों के समूहों का निर्माण हुआ था उनके खंडहर अब काली नदी के पश्चिमी जट पर एक टीले के रुप में है। बरन जनपद में ऐसे कई महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल हैं जिनका उल्लेख महाभारत ग्रंथ में मिलता है। इसके

बरन प्रदेश बनाम बुलन्दशहर

बरन प्रदेश, जिसका वर्मतान में प्रचलित नाम बुलन्दशहर है, जोकि काली नदी के किनारे और राष्ट्रमार्ग-65 पर बसा हुआ है। कहा जाता है कि प्राचीन काल में ‘बरन प्रदेश’ पांचाल प्रदेश का ही हिस्सा था। लेकिन तथ्य यह भी है कि कौरव काल में यह क्षेत्र ब्रज प्रदेश में आता था और तत्कालीन शासक महाराजा अग्रसेन के ही राज्य का हिस्सा था लेकिन कौरव राज दुर्योधन ने यह हिस्सा काट कर अपने प्रिय मित्र ‘कर्ण’ को भेंट कर दिया था, जिसका नामकरण ‘वत्स प्रदेश’ रखा गया। जोकि पांचाल प्रदेश का हिस्सा बना । आज यह क्षेत्र ‘कर्णवास’ नाम से जाना जाता हैजोकि गंगा नदी के किनारे आज भी छोटे से गांव के रुप डिबाई तहसील में में बसा हुआ है। बरन शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के इसी शब्द ‘वरण’ के हुई है। काली नदी के पश्चिमी तट पर स्थित टीले पर बसे होने के कारण यह नगर आज  बुलन्दशहर के नाम से जाना जाता है। पिछले 3000 वर्षों में जिन किलों तथा किलों के समूहों का निर्माण हुआ था उनके खंडहर अब काली नदी के पश्चिमी जट पर एक टीले के रुप में है। बरन जनपद में ऐसे कई महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल हैं जिनका उल्लेख महाभारत ग्रंथ में मिलता है। इसके

झांसी: बाबा गंगादास की बड़ी शाला

  भारत विश्व का एक ऐसा देश है, जिसके कण-कण में भगवान बसते हैं। भारत की भूमि में हर दिशा, हर क्षेत्र में कोई ना कोई आध्यात्मिक आश्रम है और पूज्य स्थल है। इस बारे में हैम्पटन एस सी (अमेरिका) निवासी अर्सेल (अब स्वर्गीय) ने 1979 में भारत भ्रमण के दौरान  एक टिप्पणी की कि ‘प्रड्डति ने आध्यात्मिक क्षेत्र में भारत के साथ पक्षपात किया है।’ उनकी यह टिप्पणी द्वेषमात्र नहीं है, वरन् सत्यता व्यक्त करती है। मैडम अर्सेल कोे अपनी भारत भ्रमण के दौरान ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण कर उनके बारे में सत्यतापूर्ण इतिहास जानने की इच्छा थी। अपनी यात्रा मंे हरिद्वार और मथुरा में उन्होंने सनातन धर्म का नजदीक से जाना भी। मैडम अर्सेल ने लेखक से प्रश्न भी किया कि भारत की भूमि इतनी पवित्र और अलौकिक क्यों है? विशेषतः उनके मन में एक जिज्ञासा थी कि भारत में जगह-जगह पर और आश्रमों में फाॅयर (अग्नि) को एक ब्रिक के चोकोर घेरे  में जलाया जाता है (उनका आशय हवनकुड में अग्नि प्रज्वलित कर हवन करने से था।) और उस अग्नि को एक बड़ी-बड़ी ढाड़ी वाला व्यक्ति कुछ करता है ऐसा वह क्या करता है तब लेखक ने बताया कि वह अग्नि मात्र अग्नि नह