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Showing posts from May, 2015

देश का औद्योगिकीकरण विस्तार: एक अपराध!!!

जब से देश में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार सत्तारुढ़ हुई है तब से विपक्षी दलांे एक ही आरोप लगा रहे हैं कि मोदी सरकार उद्योगपतिओं की सरकार है, देश में औद्योगिकीकरण को बढ़ावा देना ही इस सरकार का मुख्य ऐजेंडा है। एक बात और कहते हैं कि सरकार किसान विरोधी है, साथ ही दलित विरोधी भी बताने मंे हिचक नहीं करते। यह बात ठीक है कि विरोध दल बने ही विरोध की राजनीति के लिए परन्तु विरोध उतना ठीक रहता जितना उचित हो।  देश की आजादी 66 वर्षो के बाद देश के उद्योगों को संरक्षण मिलने लगा है। तो हो-हल्ला क्यों? इस प्रश्न के पीछे हम ही अपने विरोधी दलों के नेताओं से एक प्रश्न पूछ लेते हैं। क्या देश में उद्योगों को संरक्षण देना अथवा विस्तार करना राष्ट्र विरोध कार्य है? फिर जब इन नेताओं को चुनाव के अतिरिक्त कोई भी आपदा होने पर किसानों, दलितों और अल्पसंख्यकों वर्ग के लिए करोड़ों रुपये के मुआबजे मांग की जाती है तो उनके मांग के अनुरुप यह रुपया कहां से और कैसे आता है? इस प्रश्न का उत्तर यह विरोधी दल दे सकेंगे? अपनी राजनीति की रोटी सेकने के लिए कुछ भी आरोप लगा दें, सत्ता में बैठकर तुष्टीकरण की राजनीति को ध

रेल बजट 2015: सुनायी देती आहटें

गत 26 फरवरी को रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने वर्ष 2015-16 के लिए रेल बजट संसद पटल पर प्रस्तुत किया। आशानुरुप कोई नई रेल की शुरु करने की घोषणा के साथ अन्य आशातीय योजना नदारद दिखी। विपक्ष का तीखी टिप्पणी भी सुनाई पड़ी।    रेल मंत्री ने प्रस्तुत बजट में पुरानी चल रही रेल व्यवस्था, सुरक्षा, संरचना और बुनियादी विकास पर जोर दिया गया साथ ही उनके विकास के लिए रेल बजट में व्यवस्था की गई। साथ ही पूर्व से चल रही कुछ टेªनों कह गति ;स्पीडद्ध को बढ़ाने की लक्ष्य रखा गया है। अच्छा प्रयास के साथ अच्छी इच्छाशक्ति कही जा सकती है। क्योंकि मुख्य बात यह है कि लगभग पिछले 12 सालों से जो भी रेलमंत्री बजट रखते आएं है उनके द्वारा अपने राज्य हित में अथवा राजनीतिक तुष्टीकरण में नई रेलों के संचालन को बढ़ाते चले गए। स्थिति यह आ गई कि दिल्ली-कोलकत्ता रुट पर आज प्रति 7 मिनट में एक रेल गाड़ी दौड़ रही है, जिनमें मालगाड़ी भी शामिल हैं। लेकिन लगभग 25 से 30 साल टेªकों को बदलने अथवा उसकी क्वालिटी सुधारने की घोषणा किसी भी रेलमंत्री ने नहीं की। परिणाम यह सामने आने लगा कि आज लगभग सभी रुट पर सभी रेल गाडि़यों का परिचालन अत्यन

भारत का सबसे बड़ा उद्योग: पयर्टन उद्योग पर ध्यान दे प्रधानमंत्री जी

निःसंदेह यह सत्य है कि विश्व में भारत मात्र एक ऐसा देश में जहां पर पयर्टन जिसमें ऐतिहासिक, पौराणिक एवं आध्यात्मिक की दृष्टि से भरपूर है, साथ ही अपनी विरासत, संस्कृति एवं परम्परा दी है। यदि कोई पयर्टन पूरे भारत को गहराई से जानना चाहता है तो उसकी एक जिंदगी भी भारत को जानने के लिए कम ही पड़ जाएगी। आप भारत के किसी भी शहर, क्षेत्र, राज्य अथवा सुदूर चले जाएं यहां तक की किसी घनघोर जंगल में भी चले जाएंगे तो कुछ न कुछ ऐसी धरोहर मिल जाएगी जिसको जानने के लिए आपको पूरा समय तो देना ही होगा फिर में आप महसूस करेंगे कि अभी बहुत कुछ जानना बाकी है। यहां पर किसी विशेष राज्य की तारीफ नहीं करेगें बल्कि कुछ राज्यों का उदाहरण मात्र दे सकते हैं।  क्षेत्रीय स्तर के विकास बोर्ड का गठनः अभी हाल ही में राज्य सरकार ;उत्तर प्रदेशद्ध ने ब्रज क्षेत्र ;मथुरा व आसपास के क्षेत्रद्ध के विकास के लिए ब्रज मंडल विकास बोर्ड का गठन किया है। जो कि ब्रज क्षेत्र का समुचित विकास योजनाब( तक तरीके से करेगी। हमारा सुझाव है कि केन्द्र सरकार को भी क्षेत्रीय स्तर पर अर्थात दो या तीन राज्यों को मिलाकर एक विकास बोर्ड का गठन करना

उत्तराखंड की प्रलय हादसा

उत्तराखंड राज्य के गठन के पूर्व में 1993 में भारी भूकंप आया जिसमें उत्तरकाशी व अन्य क्षेत्रों में भारी नुकसान हुआ जिसकी भरपायी नहीं हो पायी थी कि राज्य बनने के बाद जून 2013 जलप्रलय के रुप में भारी विनाशालीला देखने को मिली। दुःखद पहलू यह भी है कि हमारी केन्द्र तथा राज्य की सरकारें 1993 के बाद भी नहीं चेती। 2013 में उत्तराखंड राज्य के प्रमुख पावन स्थन केदारनाथ में भंयकर जल प्रलय ने सारे क्षेत्र को तहस-नहस कर दिया, प्राप्त समाचारों के अनुसार लाखों की जानें गई, हजार-करोड़ों का नुकसान हुआ जिसका सही-सही आंकलन राज्य अथवा केन्द्र सरकार नहीं कर पाई। हां, प्रलय के बाद सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाओं के अध्ययन रिपोर्ट अवश्य ही समाचार-पत्रों में प्रकाशित होती रही, आज भी हो रही है। रिपोर्ट में भविष्य के लिए चेतावनी भी शामिल हैं। अभी हाल ही में दैनिक अमर उजाला में एक चेतावनी स्वरुप समाचार प्रकाशित हुआ। इस चेतावनी का भी यही सारांश था कि निकट भविष्य में और भी आफत आ सकती है।  मैं अपने अनुभव के साथ अध्ययन-विचार आप सभी के साथ बांटना चाहता हूं। परन्तु पहले आपको बता दूं कि मैं कोई भू-वैज्ञानिक नहीं हूं

केवल राजस्व वृ(ि की ही चिंता करना उचित है!

उत्तर प्रदेश का वाणिज्य कर विभाग वैसे तो विभाग में भ्रष्टाचार को कमी करने के उद्देश्य से विभाग को पूरी तरह से कम्प्यूटरीकृत करते हुए व्यापारियों को सुविधाएं देने का दावा करता है। परन्तु राजस्व की बहुत चिंता करता है, करे भी क्यों नहीं लेकिन हमारा कहना है प्रयास तो करें लेकिन ईमानदारी से करेंगे तो संभवतः सभी को सहयोग प्राप्त होगा लेकिन बस राजस्व बढ़ाने के लिए ‘कुछ भी करेंगे’ की तर्ज पर मंजूर नहीं है। विभागीय अधिकारी यह भूल जाते हैं कि आज देश की न्यायपालिका अब बहुत सक्रिय भूमिका निभा रही है। उदाहरण ही ले वैट एक्ट की धारा-54;1द्ध;22द्ध के अन्तर्गत समयसीमा के अंदर वार्षिक विवरणी दाखिल न करने पर विभाग ने व्यापारियों पर रु0 दस हजार की पेनल्टी का आरोपण प्रारम्भ कर दिया परन्तु माननीय अधिकरण का इस आदेश के विपक्ष में निर्णय आया और व्यापारी वर्ग ने राहत की सांस ली।  अब विभाग ने एक परिपत्र ;संख्या 1415100 दि. 08 दिसम्बर 14द्ध जारी किया जिसमें आदेश दिया है कि दाखिल मासिक रुपपत्रों का परीक्षण नहीं किया जा रहा अतः निर्देशित किया जाता है 0.5 प्रतिशत से कम टैक्स जमा करने का औचित्यपूर्ण एवं नियमानु

मेक इन इंडियाः कितना बना उत्साह का माहौल

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गत 15 अगस्त को लालकिले से प्राचीर से देश के औद्योगिकीकरण के लिए ‘मेक इन इंडिया’ का घोषणा, लगातार अपने प्रत्येक विदेशी दौरे में इस घोषित कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए प्रयासरत है। साथ ही इस कार्यक्रम के अन्तर्गत ही देश के पिछड़े राज्यों में ‘मेक इन इंडिया’ के अन्तर्गत ही विशाल उद्योगों की स्थापना करने का प्रयास कर दिया है। बधाई! लेकिन हम अपने पाठकों की ओर से प्रधानमंत्री जी को यह मशविरा देना चाहते हैं कि एक साल व्यतीत हो जाने बाद इस बिन्दु पर भी मंथन करना चाहिए कि देश में अभी तक मेक इन इंडिया के अन्तर्गत कितना उत्साह बन पाया। क्योंकि उत्साह के साथ मोदी का समर्थन करने वाले देश के पूंजीपति वर्ग और विदेशी निवेशक यमुदाय का मेक इन इंडिया के प्रति मोह भंग तो नहीं हो रहा, यह सत्य है कि आज भी देशी व विदेशी निवेशक घबराया हुआ नजर आ रहा है क्योंकि देश की अर्थव्यवस्था में अपेक्षित बदलाव नहीं आ पाया है जबकि कुछ लोग मोदी की ओर संदेह का लाभ दे रहे हैं क्योंकि उनका मानना है उनका इरादा तो नेक है और देश के औद्योगिक माहौल बनान चाहते हैं’ इस क्रम में प्रमुख उद्योगपति रतन