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Showing posts from April, 2015

भारत का सबसे बड़ा उद्योग: पयर्टन उद्योग पर ध्यान दे प्रधानमंत्री जी

निःसंदेह यह सत्य है कि विश्व में भारत मात्र एक ऐसा देश में जहां पर पयर्टन जिसमें ऐतिहासिक, पौराणिक एवं आध्यात्मिक की दृष्टि से भरपूर है, साथ ही अपनी विरासत, संस्कृति एवं परम्परा दी है। यदि कोई पयर्टन पूरे भारत को गहराई से जानना चाहता है तो उसकी एक जिंदगी भी भारत को जानने के लिए कम ही पड़ जाएगी। आप भारत के किसी भी शहर, क्षेत्र, राज्य अथवा सुदूर चले जाएं यहां तक की किसी घनघोर जंगल में भी चले जाएंगे तो कुछ न कुछ ऐसी धरोहर मिल जाएगी जिसको जानने के लिए आपको पूरा समय तो देना ही होगा फिर में आप महसूस करेंगे कि अभी बहुत कुछ जानना बाकी है। यहां पर किसी विशेष राज्य की तारीफ नहीं करेगें बल्कि कुछ राज्यों का उदाहरण मात्र दे सकते हैं।  क्षेत्रीय स्तर के विकास बोर्ड का गठनः अभी हाल ही में राज्य सरकार (उत्तर प्रदेश) ने ब्रज क्षेत्र (मथुरा व आसपास के क्षेत्र) के विकास के लिए ब्रज मंडल विकास बोर्ड का गठन किया है। जो कि ब्रज क्षेत्र का समुचित विकास योजनाब( तक तरीके से करेगी। हमारा सुझाव है कि केन्द्र सरकार को भी क्षेत्रीय स्तर पर अर्थात दो या तीन राज्यों को मिलाकर एक विकास बोर्ड का गठन करना चाहिए त

सरकार व्यापारियों का भी डाटा तैयार करे!

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लगभग सभी क्षेत्र में डाटा अपडेट करने के लिए तत्पर नजर आ रहे हैं। इस पर हमारा सुझाव है कि देश के व्यापारियों एवं करदाताओं का भी ‘डाटा’ तैयार होना चाहिए। तैयार किये जाने वाले डाटा में व्यापारी से संबन्धित सही जानकारी एकत्र किये जाना चाहिए जिसमें व्यापार से संबन्धित परेशानियां, विभागीय उत्पीड़न, कर्ज, लागत, लाभ आदि का भी डाटा तैयार कराना चाहिए, ताकि व्यापारी को भी उसके संकट आने पर सरकार की ओर से मदद अथवा सहयोग मिल सके। देखने में यह आता है कि प्राकृतिक आपदा हो जाने पर किसानों को फसलों में होने वाले नुकसान की भरपायी सरकार द्वारा की जाती है और इसके लिए परम हितैषी राजनीतिक दलों द्वारा राजनीति शुरु हो जाती है। परन्तु देश के व्यापारियों जो करदाता है जिसकी संख्या मात्र 3 से 4 प्रतिशत ही है, की किसी को कोई चिंता कभी नहीं रही बल्कि उनसे विभिन्न करों के नाम वसूली होने लगती है। क्या कभी किसी सरकार ने यह आंकड़े एकत्र किये हैं कि कौन से प्रदेश में कितने उद्यमी, व्यापारियों ने कर्ज के चलते आत्महत्या की? क्या कोई व्यापारी व्यापारिक संकट के चलते कितनी गंभीर बीमारी को शिक

उत्तराखंड की प्रलय हादसा

उत्तराखंड राज्य के गठन के पूर्व में 1993 में भारी भूकंप आया जिसमें उत्तरकाशी व अन्य क्षेत्रों में भारी नुकसान हुआ जिसकी भरपायी नहीं हो पायी थी कि राज्य बनने के बाद जून 2013 जलप्रलय के रुप में भारी विनाशालीला देखने को मिली। दुःखद पहलू यह भी है कि हमारी केन्द्र तथा राज्य की सरकारें 1993 के बाद भी नहीं चेती। 2013 में उत्तराखंड राज्य के प्रमुख पावन स्थन केदारनाथ में भंयकर जल प्रलय ने सारे क्षेत्र को तहस-नहस कर दिया, प्राप्त समाचारों के अनुसार लाखों की जानें गई, हजार-करोड़ों का नुकसान हुआ जिसका सही-सही आंकलन राज्य अथवा केन्द्र सरकार नहीं कर पाई। हां, प्रलय के बाद सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाओं के अध्ययन रिपोर्ट अवश्य ही समाचार-पत्रों में प्रकाशित होती रही, आज भी हो रही है। रिपोर्ट में भविष्य के लिए चेतावनी भी शामिल हैं। अभी हाल ही में दैनिक अमर उजाला में एक चेतावनी स्वरुप समाचार प्रकाशित हुआ। इस चेतावनी का भी यही सारांश था कि निकट भविष्य में और भी आफत आ सकती है।  मैं अपने अनुभव के साथ अध्ययन-विचार आप सभी के साथ बांटना चाहता हूं। परन्तु पहले आपको बता दूं कि मैं कोई भू-वैज्ञानिक नहीं हूं