कोरोना का संदेश स्वास्थ्य के लिए घातक वस्तुओं को उत्पादन बंद होना चाहिए
फरवरी से ही विश्व में कोरोना महामारी को लेकर हो-हल्ला चल रहा है, भारत भी इससे प्रभावित हो चला। पूरा देश हमारे लोकप्रिय प्रधानमंत्री के नेतृत्व में कोरोना से जंग लड़ रहा है। सर्वविदित है कि कोरोना चीन का मानवीय उत्पाद है। लेकिन हम सभी को यह सोच कर निश्चित नहीं हो जाना चाहिए कि यह मानवीय उत्पाद है, जल्दी ही इसका प्रभाव खत्म हो जाएगा। लेकिन यही हमारी भूल होगी। लेकिन इसके साथ ही हमको अपनी एक ओर भूल को भी स्वीकार करना होगा कि आज ऐसी स्थिति क्यों पैदा हो गयी कि संक्रमित प्रभावित लोगों को क्पारटीन में रहना पड़ रहा है। और जो प्रभावित नहीं हुए हैं उनको भी सुरक्षा उपायों जैसे सोशल डिस्टेसिंग पालन क्यों करने के साथ मंुह को ढक कर रहना है। क्या कोरोना छुआछुत की बीमारी है? जबकि हमारे देश में छुआछूत को अभिशाप माना जाता रहा है। इसके खिलाफ लगभग सौ सालों से अभियान भी चल रहा है। तो फिर आज छुआछुत से बचने की सलाह क्यों दी जा रही है? सोचना होगा कि छूआछुत का आन्दोलन किस ;गलतद्ध मोड़ पर चला गया और इसको रोकने के लिए भारतीय संविधान में भी व्यवस्थिात कर दिया। इन दिनों देश में बडे जोर-शोर से हल्ला चल रहा है...