भूतेश्वर महादेव मंदिर कर्णवास
माँ कल्याणी मंदिर से लगभग १ मील की दूरी पर ठीक पूर्व में स्थित भगवन भूतेश्वर का प्राचीन मंदिर है । लघु आकर के प्राचीन किले में स्थित इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग सिद्ध शिवलिंग है । अनेक संत महात्माओं ने भूतेश्वर नाम से प्रसिद्द भूतेश्वर भगवान की सिद्ध्मत्ता अवं चमत्कारिक प्रसंगों का उल्लेख अपने ग्रंथो में किया है भक्तो की मान्यता है की भगवन भूतेश्वर से की गयी मनो कामना अवश्य पूर्ण होती है । वर्त्तमान मंदिर के निर्माण का प्राप्त इतिहास भी बड़ा रोचक है कहा जाता है की आज से लगभग २५० वर्ष पूर्व यह मंदिर इस स्थान पर न होकर गंगा जी के सर्वथा तट पर था वही पक्का घाट था । इस मंदिर के सामने इमली का अति प्राचीन अवं अति विशाल वृक्ष खड़ा है यह भी ४०० वर्ष से कम पुराना नहीं है । इसी वृक्ष के सामने शिव मंदिर था । जो श्री गंगा जी ने कटाव करके अपने में समेट लिया उन दिनों यहाँ एक विरक्त महात्मा श्री रणधीर दास जी निवास करते थे वे आगरा जनपद के रहने वाले थे । यही एकांत में बने इस मंदिर में भगवन शिव की सेवा और गंगा स्नान करते थे मंदिर को गंगा जी में कटते गिरते देखकर उन्होंने भगवन शिव के इस दिव्या शिव लिंग को अपनी धोती से बांध दिया । फिर कर्णवास में आकर लोगो को बुलाकर ले गए और शिवलिंग निकलवाकर रख लिया । बाद में उन्होंने इसी स्थान पर शिव लिंग स्थापित किया फिर अपने आपने आप ककैया ईट पाथकर एवं पकाकर वर्तमान मंदिर का निर्माण कराया ।
मंदिर निर्माण की शैली भी अपने में विशेष है मंदिर के चारो तरफ स्थित दुर्ग ग्वलिअर के महाराज सिंधिया ने बनवाया था जिसमे संत महात्माओं के निवाश के लिए कुटिया आवास भी चारो और से बनवाए । यहाँ पर समय समय पर बड़े बड़े यज्ञ होते रहे है । यही पर हाथरस के प्रसिद्ध सेठ गणेशी लाल ने यज्ञ करतो की सुविधा के लिए बारहद्वारी यज्ञ शाला का निर्माण करके पुण्य प्राप्त किया । विगत वर्षो तक भगवान भूतेश्वर का यह दुर्ग जीर्ण शीर्ण हो गया था किन्तु भगवान भूतेश्वर की कृपा से मंदिर का विशाल चापूतारा संगमरमर से जटित है । मंदिर भी मरम्मत और रंगरोगन से नया हो गया है । ध्वस्त संत कुटिया पुनः बनायीं जा चुकी है । आशा की जाती है की नष्ट प्राय किला शीघ्र ही सुशोभित होगा ।
यहाँ हर वर्ष प्रत्येक शिवरात्रि पर लोग हरिद्वार व गंगोत्री से गंगा जी का जल लाकर भगवान भूतेश्वर का जलाभिषेक करते है ।
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