प्रदूषणमुक्त आगरा बनाम सोलर सिटी
वैसे तो आगरा पयर्टन की दृष्टि से विश्व स्मारक ताजमहल के साथ अन्य महत्वपूर्ण ऐतिहासिक इमारतों के कारण विश्व पटल पर अपना महत्वपूर्ण स्थान रखता है। परन्तु यदि औद्योगिक इतिहास पर प्रकाश डालें तो उद्योग की नगरी कहने में कोई हिचक नहीं होनी चाहिए। परन्तु प्रश्न उठता है कि हम आगरा को पयर्टन नगरी कहें अथवा उद्योग नगरी। क्योंकि दोनों की क्षेत्र में आगरा पिछड़ा ही नजर आता है। यदि सरकारी क्षेत्र में कार्य की बात करें तो सरकारी विभागों के लिए ताजमहल एक दुधारु गाय के समान है, ताजमहल विपुल मात्रा में आय का स्रोत भी बन चुका है उधर आगरा के परम्परागत उद्योग जो कि भारत सरकार को विदेशी मुद्रा का भुडार भरने में महती भूमिका निभा रहे हैं। परन्तु आगरा और आगरा के उद्योगों के साथ प्रदूषण रहित आगरा बनाने में सरकारी उदासीनता लगातार बनी हुई है। ज्ञातव्य है कि माननीय उच्चतम न्यायालय भी ताज महल के संरक्षण को लेकर गंभीर है उनका यह प्रयास है कि विश्व स्मारक ताजमहल को प्रदूषण से बचाए रखना बेहद आवश्यक है इसके लिए माननीय उच्चतम न्यायालय ने विभिन्न आदेश पारित कर रखें हैं परन्तु उन आदेशों पर कितनी गंभीरता देखी गई है। यह विचारणीय प्रश्न हमेशा ही मन-मस्तिस्क में उमड़ता रहता है।
माननीय उच्चतम न्यायालय ने आगरा को प्रदूषण रहित रखने के लिए सबसे आवश्यक निर्देश दे रखा है कि आगरा को ‘विद्युत कटौती मुक्त’ रखा जाए। परन्तु प्रश्न उठता है कि निर्देशों को पूरा कैसे किया जाए? 2008 में तत्कालीन केन्द्रीय नवीकरण ऊर्जा मंत्री ने आगरा को ‘पूर्णतया सोलर सिटी’ घोषित किया था परन्तु सोचनीय स्थिति यह है कि स्थानीय प्रशासन या कहें स्थानीय निकाय अभी तक इस ओर कोई गंभीर प्रयासरत दिखायी नहीं पड़ रही है। आज 2015 तक यदि गणना करें तो लगभग 7 साल गुजर गए लेकिन आगरा में संभवतः एक या दो उद्योग को छोड़कर कोई भी सोलर ऊर्जा से चलित उद्योग स्थापित नहीं हो पाया। इसके अतिरिक्त आगरा की सड़कें पर कोई भी स्ट्रीट लाईट नहीं लग पायी। हां, आगरा में प्रदूषण रहित ‘ई-रिक्शा’ का संचालन यशुरु हुआ तो यातायात की दृष्टि से परेशानी मानकर उन पर रोक लगाने में स्थानीय प्रशासन ने गुरेज नहीं किया।
आश्चर्य होता है कि आगरा नगर निगम को आगरा को सोलर सिटी के रुप में स्थापित करने की जिम्मेदाराी दी गई थी जिसके लिए कुछ रुपया केन्द्र सरकार के स्तर पर आवंटित भी हुआ लेकिन कोई परिणाम नहीं। आश्चर्य इस बात का भी आगरा में नेडा नामक संस्था जो कि जनपद में सोलर ऊर्जा के क्षेत्र में कार्य करने की जिम्मेदारी नियत है लेकिन क्या कहें। आज तक यह समझ में आया कि इस संस्था का कार्य क्या है। कहने को कहते हैं कि क्षेत्र में सोलर ऊर्जा का प्रचार-प्रसार करना परन्तु कैसा प्रचार-प्रसार, यह तो नेडा के अधिकारी ही बता सकते हैं!!
हम आपको बता दें कि आगरा के उद्योगपति सोलर आधारित उद्योग लगाने के लिए रुचि रख रहे हैं लेकिन उनकी कुछ शंकाएं है कुछ प्रश्न हैं, वे कुछ मार्गदर्शन चाहते हैं। हां, इतना अवश्य कह सकते हैं कि यदि सरकार उद्योगपतिओं को सोलर ऊर्जा आधारित उद्योग के लिए प्रोत्साहित करे तो निश्चय ही आगरा ही नहीं सम्पूर्ण प्रदेश सोलर ऊर्जा से रोशन हो जाएगा। केवल इतना बता दें कि सोलर ऊर्जा के उत्पादन के लिए सरकार के पास कोई ग्रिड की व्यवस्था है? क्या सरकार ऐसे उद्योगों को कैसे एवं क्या प्रोत्साहन देगी जो कि सोलर ऊर्जा के माध्यम से बिजली को बचाने में सहयोग प्रदान करेंगे। वैसे केन्द्र सरकार देश में सोलर ऊर्जा के लिए प्रयासरत् है। संभव है कि शीघ्र ही नये सिरे से नई सोच के साथ आगरा भी प्रदूषणमुक्त एवं सोलर सिटी के रुप में स्थापित होकर देश-विदेश के लिए मिसाल बन जाए। हमारी तो यही कामनाएं हैं।
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