भारत का सबसे बड़ा उद्योग: पयर्टन उद्योग पर ध्यान दे प्रधानमंत्री जी
निःसंदेह यह सत्य है कि विश्व में भारत मात्र एक ऐसा देश में जहां पर पयर्टन जिसमें ऐतिहासिक, पौराणिक एवं आध्यात्मिक की दृष्टि से भरपूर है, साथ ही अपनी विरासत, संस्कृति एवं परम्परा दी है। यदि कोई पयर्टन पूरे भारत को गहराई से जानना चाहता है तो उसकी एक जिंदगी भी भारत को जानने के लिए कम ही पड़ जाएगी। आप भारत के किसी भी शहर, क्षेत्र, राज्य अथवा सुदूर चले जाएं यहां तक की किसी घनघोर जंगल में भी चले जाएंगे तो कुछ न कुछ ऐसी धरोहर मिल जाएगी जिसको जानने के लिए आपको पूरा समय तो देना ही होगा फिर में आप महसूस करेंगे कि अभी बहुत कुछ जानना बाकी है। यहां पर किसी विशेष राज्य की तारीफ नहीं करेगें बल्कि कुछ राज्यों का उदाहरण मात्र दे सकते हैं।
क्षेत्रीय स्तर के विकास बोर्ड का गठनः
अभी हाल ही में राज्य सरकार ;उत्तर प्रदेशद्ध ने ब्रज क्षेत्र ;मथुरा व आसपास के क्षेत्रद्ध के विकास के लिए ब्रज मंडल विकास बोर्ड का गठन किया है। जो कि ब्रज क्षेत्र का समुचित विकास योजनाब( तक तरीके से करेगी। हमारा सुझाव है कि केन्द्र सरकार को भी क्षेत्रीय स्तर पर अर्थात दो या तीन राज्यों को मिलाकर एक विकास बोर्ड का गठन करना चाहिए ताकि दु्रग गति से सुगम पहंच के साथ योजनाएं बनाकर विकास कार्य किया जा सके। लेकिन इसमें जनता के प्रतिनिधियों के साथ विशेषज्ञों को भी शामिल किया जाना चाहिए। इस विकास योजनाओं में केवल मध्य कालीन ऐतिहासिक इमारतों के साथ प्राचीन कालीन मंदिर व भवनों को भी सूचीब( करते हुए उनका संरक्षण एवं सुरक्षा का भी दायित्व इन्हीं विकास बोर्ड को सौंपना चाहिए।
हम बात करें यूरोपीय देश स्पेन, इटली, स्वीट्जरलैंड व अन्य देशों की जहां पर प्राप्त और उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार देश की जनसंख्या से अधिक प्रतिवर्ष विदेश्ी पयर्टक आते हैं जबकि इन देशों में ऐतिहासिक, पौराणिक, व अन्य क्षेत्र में पर्यटन क्षेत्र में कुछ भी नहीं है बस केवल प्राकृतिक सौंदर्य ही है लेकिन इन देशों में कुछ भी न होते हुए पयर्टन उद्योग को नई ऊँचाईयां दी। क्या हमारा देश केवल पयर्टन क्षेत्र को व्यापक योजना बनाकर परन्तु हमारे देश में आने वाली किसी भी सरकार ने कभी इस ओर ध्यान ही नहीं दिया बल्कि अभी तक औद्योगिक विकास पर ध्यान देते हुए बड़े-बड़े उद्योग स्थापित करने में रुचि दर्शायी है और भारत की पहचान सपेरांे के देश की होती गई और विदेशी पर्यटकों को आकर्षित नहीं कर पाया है।
ऐतिहासिक, पौराणिक, प्राकृतिक व अन्य क्षेत्र में पर्यटन की विपुल संभावनाएं वाले राज्यों में उत्तर भारत में मुख्यतः उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान तथा हिमाचल प्रदेश का नाम सबसे ऊपर रखा जा सकता है। उत्तराखंड की बात जब करते र्हैं तो यही याद आता है उत्तराखंड देव भूमि कही जाती है, उत्तराखंड के कण-कण में भगवान शिव का वास है। मां गंगा का उद्गम स्थल है। आज भी इस आधुनिक युग में व्यक्ति कितना भी माॅर्डन क्यों न हो परन्तु बाबा केदारनाथ के साथ चारों धाम के दर्शन अपने जीवन में अवश्य ही करने की कामना मन में रखता है यह बात अलग है कि 2013 के जल प्रलय के बाद लोगों के मन में कुछ भय उत्पन्न हो गया है लेकिन श्र(ा के आगे कोई डर नहीं होता, हादसे के बाद भी लोगों की संख्या में कमी तो आयी है परन्तु बंद नहीं हुई है। उत्तराखंड के बारे में यह कहा जा सकता है कि इस राज्य के प्रत्येक 10 किमी पर कोई न कोई पुरातन देवस्थल विद्यमान है।
उत्तराखंडः
वैसे तो उत्तराखंड दो मंडलों में बंटा हुआ है जिसमें गढ़वाल एवं कुमाऊँ। दोनों मंडल के बारे में बता दें कि गढ़वाल पूरी तरह से आध्यात्मिक एवं पौराणिक पयर्टन स्थल है जिसमें मुख्यतः जनपद उत्तरकाशी, गोपेश्पर, रुद्र प्रयाग आदि आते हैं
पौराणिक ग्रन्थों में कुर्माचल क्षेत्र ‘मानसखंड’ के नाम से प्रसिद्व था। पौराणिक ग्रन्थों में उत्तरी हिमालय में सि( गन्धर्व, यक्ष, किन्नर जातियों की सृष्टि कहा जाता है। इस सृष्टि का राजा कुबेर का राज्य बताया गया हैं। कुबेर की राजधानी अलकापुरी ;बद्रीनाथ से ऊपरद्ध बताई जाती है। पुराणों के अनुसार राजा कुबेर के राज्य में आश्रम में )षि-मुनि तप व साधना करते थे। अंग्रेज इतिहासकारों के अनुसार हुण, सकास, नाग, खश आदि जातियां भी हिमालय क्षेत्र में निवास करती थी। पौराणिक ग्रन्थों में केदार खंड व मानस खंड के नाम से इस क्षेत्र का व्यापक उल्लेख मिलता है। इस क्षेत्र को देव-भूमि व तपोभूमि माना गया है।
जैसा कि बताया जा चुका है कि उत्तरखंड राज्य के गठन के बाद प्रशासनिक दृष्टि से दो मंडलों में विभक्त है। जिसमें गढ़वाल एवं कुमाऊं मंडल हैं। कुमाऊं मंडल के छः जिले अल्मोड़ा, उधम सिंह नगर, चम्पावत, नैनीताल, पिथौरागढ़, बागेश्वर हैं और गढ़वाल मंडल के सात जिले उत्तरकाशी, चमोली गढ़वाल, टिहरी गढ़वाल, देहरादून, पौड़ी गढ़वाल, रूद्रप्रयाग एवं हरिद्वार जनपद आते हैं। देहरादून तो राज्य की राजधानी है जबकि उधम सिंह नगर को औद्योगकि नगरी के रुप में विकसित हो चुका है।
उत्तर प्रदेशः
उत्तर प्रदेश, भारत का सबसे बड़ा राज्य है। उत्तर प्रदेश की विशेषता यह है कि इस प्रदेश की आध्यत्मिक और ऐतिहासिक पहचान मिली-जुली बन गई है। क्योंकि मध्य काल में मुगल साम्राज्य का प्रभुत्व रहा है जब वह कमजोर हुआ तो अंग्रेजी शासन आ गया, और मध्यम काल से पूर्व में उत्तर प्रदेश का इतिहास शांत-सा ही दिखयी पड़ता है। हां, यदि 5300 वर्ष पूर्व जाएं तो महाभारत यु( का मुख्य स्थल और पांडव-कौरवों की भूमि उत्तर प्रदेश ही था। आज से लगभग 2600 पूर्व महात्मा बु( का जन्म स्थल, तप और ज्ञान स्थल के साथ निर्वाण स्थल उत्तर प्रदेश में ही है। इसके अतिरिक्त मुगल धार्मिक स्थल भी उत्तर प्रदेश में कुछ संख्या में है। हां सनातन धर्म यानि की हिन्दू धर्म के मुख्यतः देव भगवान राम का जन्म स्थल अयोध्या ;फैजाबादद्ध योगीराज कृष्ण का जन्म स्थल मथुरा, पांडवों एवं कौरवों की भूमि हस्तिनापुर ;मेरठद्ध, सीतापुर जनपद में देवस्थल ‘नैमीष’, बनारस में बाबा विश्वनाथ, इलाहाबाद श्र(ा की केन्द्र एवं पावन नदीयां गंगा-जमुना-सरस्वती का संगम, आगरा में भगवान शिव में पौराणिक स्थल, विश्व प्रसि( ताजमहल के अलावा 2 विश्वदाय स्मारक सिकन्दरा एवं फतेहपुर सीकरी भी है। आगरा के बारे में एक बात और कहना चाहता हूं कि अभी तक सरकारों ने आगरा के इतिहास को मुगल काल तक ही सीमित कर दिया जबकि आगरा में बहुत से पौराणिक ऐतिहासक स्थल हैं जिनमें मुख्यतः महर्षि परशुराम का जन्मस्थल के साथ )षि जमादग्नि का आश्रम, )षि श्रंृगेरी का आश्रम, यह वही )षि हैं जिन्होंने राजा परीक्षित को श्रापित किया था। )षि च्यवन का आश्रम के अतिरिक्त भगवान शिव के अनेकों प्राचीन मंदिर जिनमें आगरा से 70 किमी दूर पूर्व दिशा में स्थित बटेश्वर, दक्षिण धौलपुर ;राजस्थानद्ध जनपद की सीमा पर सहपऊ भोले, के अलावा आगरा शहर के चारों कोनों पर विद्यमान शिव मंदिर ;कैलाशनाथ, बिल्वकेश्वर नाथ, पृथ्वीनाथ एवं राजेश्वरनाथद्ध आगरा के शहर में ही रावली महादेव, मनकामेश्वर नाथ, आगरा-मथुरा हाईवे से जरा अलग हटकर बनखंडी महादेव के अतिरिक्त अलीगढ़ मार्ग पर खंदौली तहसील से पूर्व में लगभग 12 किमी दूर बमान महादेव, एवं आशादेवी ;चैहान साम्राज्य की कुलदेवीद्ध का मंदिर स्थापित हैं। अब हम चलें सहारनपुर में शाकुम्भरी देवी का मंदिर, मुजफ्फरनगर में शुक्रताल, बलिया में अगस्त )षि का आश्रम के अलावा बौ( स्थलों में कुशीनगर, बनारस में सारनाथ, बहराइच से चलकर नेपाल सीमा में बौ( केन्द्र, ऐसे अनेक स्थल हैं।
राजस्थान की वीर भूमि एवं पौराणिक स्थलः
अब हमें चले राजस्थान में इस राज्य में भी प्रत्येक जनपद में आस्था का केन्द्र होने के साथ वीरों की भूमि के रुप में आज भी अपनी दास्तानें सुनाती हैं, जिनमें प्रमुख अजमेर, जयपुर, उदयपुर, जौधपुर, चित्तौड़, सीकर, शेखावटी, माउंट आबू, भरतपुर, धौलपुर, कोटा व अलवर और न जाने कौन-कौन से जनपद है। एक से एक दर्शनीय श्र(ा के केन्द्र है।
हिमाचल प्रदेशः
हिमाचल प्रदेश को भी सनातन धर्म में ‘स्वर्ग’ कहा जाता है। यहां पर पंक्ति से देवी माता के मंदिर है जहां प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में देशी श्र(ालु दर्शन हेतु पहंुचते हैं जिनमें नैना देवी, ज्वाला देवी, कांगरा देवी, छिन्नमस्ता, चामुंडा देवी मुख्य हैं।
बुंदेलखंड का क्षेत्रः प्रमुख जैन तीर्थ भी-
दो प्रदेशों जिनमें उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश में विभक्त बंुइेलखंड क्षेत्र की विरासत, इतिहास भी बहुत बहुमूल्य है, इस क्षेत्र के ऐतिहासिक विरासत की बात करें तो आज भी छोटे-छोटे कस्बे में दुर्ग ;किलेद्ध विद्यमान है। इस क्षेत्र का इतिहास मराठों, बंुदेलों का मिला-जुला इतिहास है। आज भी यहां की परम्परा और संस्कृति मराठों, बंुदेलों की मिली-जुली है। प्राकृतिक खनिज संपदा की बात करें तो इस क्षेत्र में खनिज संपदा का विपुल भंडार है। इस क्षेत्र में अनेक नदीयां आज भी बहती हुई इस क्षेत्र की सुरक्षा और संरक्षा करती हैं। विशेष बात यह भी है कि आपने कभी बुंदेलखंड में बाढ़ आने का समाचार नहीं पढ़ा होगा।
इस क्षेत्र में पयर्टन विकास की व्यापक संभावनाएं मौजूद हैं। उत्तर प्रदेश के जनपदों में महोबा, झांसी, ललितपुर के साथ चित्रकूट मुख्यतः ऐतिहासिक एवं पौराणिक संपदा क्षेत्र के साथ ‘जैन तीर्थ’ हैं जिनको पयर्टन स्थलों के रुप में विकसित किया जा सकता है। उल्लेखनीय है कि माताटीला बांध से बिजली निर्माण की यूनीट भी ललितपुर-झांसी के बीच में ही स्थापित है। इसी प्रकार मध्य प्रदेश के शिवपुरी, इंदौर, आदि क्षेत्र जो कि जैन तीर्थ के प्रमुख स्थल हैं, को विकसित किया जा सकता है।
महात्मा बु( एवं बौ( तीर्थः
हम गहराई में जाकर मनन करें तो हमारे देश में हिन्दु दर्शनीय स्थलों के अतिरिक्त महात्मा बु( के भी आस्था एवं शक्ति स्थल स्थापित हैं। जिसमें सारनाथ एवं कुशीनगर मुख्य है, इन स्थलों पर हम एशिया के बौ( देशों के पयर्टकों को और अधिक आकर्षित कर सकते हैं। जैसे इंडोनेशिया, सुमात्रा, जावा, मलेशिया, सिंगापुर, थाईलैंड, श्रीलंका व चीन, वियतनाम, कोरिया, भूटान आदि देश हैं।
अतः अब केन्द्र में एक नई सोच की सरकार सत्तारुढ़ हुई है जिसके मुखिया प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भारत को नई पहचान देना चाहत रखते हैं। वह कहते भी हैं कि भारत सभी दृष्टि से एक समृ(शाली देश है बस आवश्यकता है उसके प्रयोग करने की। अभी प्रधानमंत्री जी ने ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम को चलाकर देश में स्वदेशी निर्माण का आव्ह्ान करते हुए उद्योग जगत को आक्सीजन देने का कार्यक्रम बनाकर देश को प्रगति और युवाओं को रोजगार के अवसर बढ़ाने के साथ देश का कुल सकल उत्पाद बढ़ाने का प्रयास प्रारम्भ किया है। सराहनीय है। हमारा सुझाव है कि प्रधानमंत्री जी भारत को प्रकृति ने पौराणिक, आध्यात्मिक एवं ऐतिहासिक इतिहास के साथ संपदा के साथ हमारी संस्कृति एवं परम्परा प्रदान की है जिसके सहारे से हम अपने देश को विश्व पटल पर स्थापित करते हुए विश्वभर के सैलानियों को आकर्षित कर सकते हैं। बस आवश्यकता है एक सुनियोजित योजना की, जिससे देश का पयर्टन एक विशाल उद्योग के रुप में स्थापित हो सके। हमे विश्वास है कि आप कर सकते हैं।
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