रेल बजट 2015: सुनायी देती आहटें

गत 26 फरवरी को रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने वर्ष 2015-16 के लिए रेल बजट संसद पटल पर प्रस्तुत किया। आशानुरुप कोई नई रेल की शुरु करने की घोषणा के साथ अन्य आशातीय योजना नदारद दिखी। विपक्ष का तीखी टिप्पणी भी सुनाई पड़ी।   
रेल मंत्री ने प्रस्तुत बजट में पुरानी चल रही रेल व्यवस्था, सुरक्षा, संरचना और बुनियादी विकास पर जोर दिया गया साथ ही उनके विकास के लिए रेल बजट में व्यवस्था की गई। साथ ही पूर्व से चल रही कुछ टेªनों कह गति ;स्पीडद्ध को बढ़ाने की लक्ष्य रखा गया है। अच्छा प्रयास के साथ अच्छी इच्छाशक्ति कही जा सकती है। क्योंकि मुख्य बात यह है कि लगभग पिछले 12 सालों से जो भी रेलमंत्री बजट रखते आएं है उनके द्वारा अपने राज्य हित में अथवा राजनीतिक तुष्टीकरण में नई रेलों के संचालन को बढ़ाते चले गए। स्थिति यह आ गई कि दिल्ली-कोलकत्ता रुट पर आज प्रति 7 मिनट में एक रेल गाड़ी दौड़ रही है, जिनमें मालगाड़ी भी शामिल हैं। लेकिन लगभग 25 से 30 साल टेªकों को बदलने अथवा उसकी क्वालिटी सुधारने की घोषणा किसी भी रेलमंत्री ने नहीं की। परिणाम यह सामने आने लगा कि आज लगभग सभी रुट पर सभी रेल गाडि़यों का परिचालन अत्यन्त ही सोचनीय हालत में है, बस सच को स्वीकारना की हिम्मत चाहिए। उदाहरण सामने हैं कि शायद कोई भी रेलगाड़ी समय से नहीं चल रही है, और तो और आप स्लीपर को छोड़ दें एसी बोगी की हालत भी ए.सी. होती चली गई है लगता ही नहीं कि हम ए.सी. बोगी में यात्रा कर रहे हैं।
देश की आजादी के लगभग 66 साल बाद भी बहुत से ऐसे मार्ग हैं जिनमें आज भी भी एकल पटरी पर आवागमन हो रहा है उदाहरण देखें देश के प्रमुख आई टी शहर ‘बंगलौर’ को वहां पर आज भी एक पटरी ही है। ऐसे ही हमारे उत्तर प्रदेश, राजस्थान के बहुत से ऐसे जनपद हैं।
बजट से पूर्व यह अनुमान लगाया जा रहा था कि रेलमंत्री प्रधानमंत्री की महत्वकांक्षा योजना ‘बुलेट टेªन’ के प्रारम्भ की घोषणा करेंगे परन्तु कोई घोषणा नहीं की। रेल मंत्री की चुप्पी पर हमारा पूर्णतः समर्थन कर सकते हैं क्योंकि वर्तमान में संचालित टेªनों को गति प्रदान करना भी सर्वथा आवश्यक है। बुलेट टेªन तो शुरु कर दें लेकिन पुरानी टेªनों में कोई सुधार न करना भी कोई सकारात्मक सोच नहीं है। फिर देश में जो भी सुविधा उपलब्ध है उनमें भी तो सुधार की महती आवश्यकता है।
यह कहा जा सकता है कि विश्व में दुसरे नंबर पर स्थापित भारतीय रेल सेवा में कितनी भी नई टेªनों को जोड़ दें लेकिन इनके परिचालन में सुधार पर ध्यान न देना यात्रियों के साथ कहां का न्याय होगा? अतः रेलमंत्री के बजट पर समर्थन करना आवश्यक है।                                       

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