वाणिज्य कर विभाग, उ0 प्र0: उच्चाधिकारियों को संकेतों को समझना होगा!



प्रदेश में वाणिज्य कर अर्थात वैट प्रणाली 1 जनवरी 2008 को लागू होने के प्रारम्भ से वैट कर प्रणाली में ;जनपद स्तरीयद्ध विभाग के अधिकारियों/कर्मचारियों के प्रति व्यापारीवर्ग एवं अधिवक्ताओं में असंतोष पनपता नजर आ रहा है और अब यह असंतोष धरातल पर नजर आने लगा है। 
इसके लिए कोई प्रमाण की आवश्यकता नहीं है बल्कि कुछ जनपदों में हाल के महिनों में कुछ घटित कुछ घटनाओं को उदाहरण के तौर पर लिया जाना चाहिए। हम विभाग के उच्चाधिकारियों का इस ओर ध्यान आकृष्ट करना अपना फर्ज समझ रहे हैं अतः इन शब्दों को लिख रहे हैं।
यदि आप ध्यान दे तो जुलाई में हापुड़ में, अगस्त में कासगंज प्रकरण, बुलन्दशहर और अब देवबंद का प्रकरण और चाहे आगरा में एक अधिकारी प्रति असंतोष और भी प्रकरण हो सकते हैं जो कि जिक्र में नहीं आए। हमारा यह नहीं कहना है कि इन सभी प्रकरणों में विभागीय कर्मचारियों अथवा अधिकारियों का ही न हो परन्तु असंतोष तो है। 
यह भी देखने आ रहा है जनपदीय कार्यालय विभाग मुखिया के आदेश को भी अपने सुविधा के अनुसार पालन करना भी असंतोष पनपा रहा है। अभी हाल में देवबंद का उदाहरण है कि अधिवक्ताओं को बैठक के लिए बुलाकर उचित सम्मान न देना। निंदा करनी ही होगी।
यह नहीं भूलना चाहिए कि किसी भी कर प्रणाली में दो पक्ष होते हैं पहला विभाग दूसरा करदाता। और उनके बीच महत्वपूर्ण कड़ी है ‘अधिवक्तावर्ग’। हम कोई निर्णायक की भूमिका अदा करना नहीं चाहते है परन्तु मीडिया का दायित्व अवश्य ही निभाते हुए उल्लेख करना । उच्च अधिकारियों को कर वसूली के लक्ष्य के साथ इस ओर भी ध्यान देना होगा। 
हमारे कर प्रणाली में प्रारम्भ से ही एक कमी झलकती रही है जिस पर किसी ने संभवतः ध्यान नहीं दिया उसमें प्रमुख है कि ‘करदाता’ का अधिकार और दूसरा कर निर्धारण अधिकारी का ‘दायित्व’। हमारा मानना है कि कोई भी कर प्रणाली में इन दोनों को समाहित कर लिया जाएगा निश्चित रुप से वह कर प्रणाली लोकप्रिय तो होगी ही साथ ही विभाग को लक्ष्य प्राप्ति में कमी नहीं आएगी। हां आप कह सकते हैं कि वसूली डर से होती है लेकिन समय बदल रहा है अतः समय की मांग की भी बदल रही है अब डर की वसूली न होकर प्यार पुचकार कर भी हो सकती है उसमें एक विचार को जोड़ना होगा कि ‘नीति’ के साथ ‘नियत’ भी जरुरी हो। क्योंकि आजादी के 68 वर्षो के बाद देश के व्यापार का माहौल बदल चुका है और अब भारी परिवर्तन के संकेत दिखायी दे रहा है।             -पराग सिंहल

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