मंगलेश्वर नाथ शिव, जो नंदी पर आगरा आये थे

आगरा: जी हाँ! आगरा शैव भूमि है, पुराणों में आगरा को शैव भूमि भी कहा गया है।आगरा में भगवान शिव के अनेकोनेक मंदिर स्थापित है, जो कि लगभग 1500 से 2000 हजार पुराने है। 
उन दिनों का है जब आगरा एक छोटा सा कस्बा हुआ करता था और आगरा से पश्चिम 36 किलोमीटर दूर स्थित फतेहपुर सीकरी, जो कि कभी मेवाड़ के राजा राणा सांगा की कर्मभूमि हुआ करती थी, तब आगरा शिव भक्तों की एक तपोभूमि कहलाती थी और आगरा की इस तपोभूमि पर भगवान शिव के भक्तों के आश्रम हुआ करते थे। आम जानकारी में आगरा में मुख्य रूप से चार मंदिर विशेष हैं, जोकि आगरा के चारांे कोनों पर स्थित है। इन मंदिर  राजेश्वर नाथ, कैलाशनाथ, बलकेश्वर नाथ और पृथ्वीनाथ, 
कैलाशनाथ मंदिर के बारे में बताया जाता है कि यह मंदिर त्रेता युग प्रतिष्ठापित हुआ था, इस शिवलिंग की प्रतिष्ठा, भगवान विष्णु के अवतार माने जाने वाले महर्षि परशुराम के पिता षि जमादग्नि ने भगवान शिव प्रार्थना की कि आप इसी स्थान पर ही विराजमान होंतब भगवान शिव ने प्रार्थना स्वीकार यहीं वास करना प्रारम्भ कर दिया, इस मंदिर की विशेष बात यह है कि इस मंदिर की जलहरि में शिव की दो पिण्डीयां है, दूसरी पिडीं के बारे में बताया जाता है कि वह महर्षि परशुराम जी ने भगवान शिव से मांग की स्थापित की थी।
हम बात कर रहे थे मंगलेश्वर नाथ की। मंगलेश्वर भोलेनाथ आगरा शहर में बल्का बस्ती ;अहीरपाड़ाद्ध में एक तालाब के किनारे स्थित है। यह मंदिर नाथ संप्रदाय का है, इस मंदिर के मंहत आज भी गुरू परम्परा को निभाते हंै। इस मंदिर के महंत पूज्य बाबा गिर्राज जी महाराज बताते है कि विश्व में यह मंदिर ऐसा अनूठा मंदिर है जहां भगवान शिव की लिंग अपने भक्त नंदी पर सवार है। वह बताते है कि यह शिवलिंग हजारों साल पुराना है। 
महंत गिर्राज बाबा का कहना है कि उनके गुरू बताते थे कि द्वापर युग में भगवान शिव भगवान ड्डष्ण की रासलीलाएं देखने जाते थे, भगवान शिव इसी स्थान पर विश्राम किया करते थे, इसीलिए यह शिवलिंग नंदी पर विराजमान है। 
महंत यह भी बताते हंै कि प्राचीन काल में एक गाय इस स्थान पर आकर खड़ी हो जाती थी, फिर उसके थन स्वयं ही खाली हो जाते थे, यह सब देख कर इस क्षेत्र के वासियों ने इस स्थान की खुदाई करवायी तभी यह शिवलिंग निकला और भक्तों ने एक छोटा सा मंदिर बनवा दिया और पूजा अर्चना शुरू कर दी। लेकिन जब अकबर, आगरा के किले का लालकिले के रूप में बनवा रहे थे तब भक्तों व किले के कारीगरों ने इस मंदिर को एक छोटे से मंदिर का रूप दे दिया लेकिन सम्वत् 1538 में ग्वालियर के महाराजा सिंधिया एक बार इस क्षेत्र से गुजर रहे थे, वह इस मंदिर को देख भगवान शिव के दर्शन किये और भक्ति में गहरे लीन हो गये तभी उन्हें प्रेरणा हुई तो उनके द्वारा इस शिव मंदिर के लिए सुन्दर भवन का निर्माण करवाया।
महंत जी ने बताया कि आज से ;लगभगद्ध 500 साल पहले इस मंदिर में बाबा सुन्दरनाथ जी ने पीठ की स्थापना की। इस पीठ परम्परा में अब तक लगभग 35 महंत हुए है। इस मंदिर में लगभग 35 ही समाधियां है, जिनके बारे में बताया कि यह समाधियां जो भी पीठ की गद्दी पर बैठे पीठ मंहत की हैं, एक अचरज की बात यह भी बतायी कि प्रथम पीठाधीश बाबा सुन्दरनाथ जी ने इसी मंदिर परिसर में जिन्दा ही समाधी ले ली थी ऐसे ही एक दूसरे पीठ महंत बाबा भंडारी नाथ जी ने भी जिन्दा समाधी ली थी। बताते है कि बाबा सुन्दरनाथ जी सागंल ;हरियाणाद्ध से इस स्थान पर आये थे। आगे यह भी बताते है कि एक पीठ महंत बाबा बाबूलनाथ जी इस स्थान पर मोर पर बैठ कर पधारे थे।
इस मंदिर परिसर में बनी 35 समाधियां की विशेष बात यह है जोकि पीठ महंतों की समाधियां बतायी जाती है, इन सब समाधियों पर एक-एक शिवलिंग स्थापित है। 
इस मंदिर परिसर में काल भैरव जी भी सुन्दर रूप में विराजमान हैं। साथ उत्तर दिशा में माँ दुर्गा जी भी विराजमान है साथ एक ओर पांच मुखी हनुमान जर भी वास कर रहे हैं। भक्त जन बताते है जो भक्त नियमितरूप से 51 दिन इस मंदिर के दर्शन करता है भगवान शिव उसकी हर मनोकामना पूर्ण करते हैं।
इस मंदिर के एक अन्य भक्त रमेश ;जो पेशे से बांइडर हैद्ध बताते है कि एक बार इस मंदिर में भरतपुर के जाट राजा भी यहां आये थे, तब उनके द्वारा मंदिर के बगल में एक कुंड बनवाया जो कि बहुत ही भव्य और मनोरम है लेकिन वक्त के थपेड़े़ ने उनको अब लावारिस सा बना दिया है। तालाब पर लगे पत्थर लगा है जिस अंग्रेजी में अंकित है क्ममूंद श्रंदप ठमींतप स्ंस टंापस जव जीम ठीनतजचनत क्नतइंत त्ंरचमजं ।हमदबल ब्ंउच श्रंलचवतम 15 क्मबण् 1877 ैक् ध् ।ब् ज्ंसइंज ब्ंचजनतमण् 
तालाब के दक्षिण में एक पत्थर लगा है कि जिस संस्ड्डत भाषा में मंगलेश्वर नाथ शिव जी की आरती लिखी हुई है। 
  अब यह तालाब बहुत गंदा और उपेक्षित पड़ा है स्थानीय लोग इसके विकास कुछ ध्यान नहीं देते। स्थानीय लोग बताते हैं कि पूर्व सांसद राज बब्बर इस तालाब के रखरखाव के लिए अपनी सांसद निधि से 5 लाख देने की घोषणा कर गये थे।
               

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