देश में व्याप्त कालेधन पर चिंता करें


प्रारम्भ से ही ‘भारत’ की पहचान ‘सोने की चिडि़या’ के रुप में होती आयी है। संभवतः मुगल शासक तत्पश्चात अंग्रेज भी, भारत का सोने की चिडि़या का परिचय पाकर ही ईस्ट इंडिया कम्पनी बनाकर व्यापार के लिए भारत आए थे। हमारा विषय यह नहीं है। विषय यह है कि क्या आज भारत ‘सोने की चिडि़या’ नहीं है?
यदि पूछा जाए तो मैं यही कहा जाएगा कि आज भी भारत सोने की चिडि़या ही है। इधर पिछले लगभग 15 वर्षो से विदेश में जमा काला धन देश में वापस लाने के लिए गहन चर्चा चल रही है और पिछले दिनों ने विपक्षी दलों कुछ ज्यादा चिंतित हो रहे हैं। लेकिन मेरा कहना है कि सरकार को विदेश में जमा कालाधन के साथ देश में व्याप्त कालेधन पर भी चिंता करना चाहिए। 
मेरा सुझाव है कि देश में व्याप्त कालेधन का सद्पयोग पूरी तरह देश के विकास की लम्बित योजनाएं-परियोजनाओं में होना चाहिए। इसके लिए केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली को अपने 2015 बजट में खुले दिल के साथ एक योजना को लागू करना चाहिए क्योंकि पूर्व में देश में ‘अघोषित आय’ के लिए योजना लागू की थी परन्तु वह कितनी सफल रही इस पर हम कोई टिप्पणी नहीं करेंगे परन्तु यह सुझाव अवश्य दे रहे हैं।
बजट 2015 में केन्द्रीय वित्त मंत्री को एक ऐसी योजना का लागू अथवा बांड जारी करने चाहिए कि जिसमें यह प्रावधान हो कि 
- जो भी अपनी अघोषित आय की घोषणा करे उसको ‘भारत विकास बांड’ जारी किया जाएगा, बांड धारक को अपनी आय के स्रोत की घोषणा न करने की सुविधा हो। 
- खरीदे जाने वाले बांड की राशि में से निर्धारित दर के अनुसार ‘आयकर’ की कटौती कर ली जाए। 
- क्रय किये बांड की राशि से प्राप्त राशि को देश में लम्बित परियोजनाओं में ही प्रयोग की जाए।
- बांड की मैच्यूरिटी के समय ब्याज सहित भुगतान तो करें साथ ही वह राशि भी शामिल की जाए जो ‘आयकर’ की कटौती की जाए।
- यह प्रावधान भी किया जाए कि बांड की मैच्यूरिटी के पश्चात जो भी राशि बांडधारक को प्राप्त हो उस पर बांड धारक को प्राप्त राशि कालाधन न माना जाए।
- बांड के मैच्यूरिटी के पूर्व बांड की नगदीकरण कराने पर काटा गया आयकर को ब्याज में समायोजित नहीं किया जाए साथ ही आय का स्रोत भी खोलने का प्रावधान करना चाहिए।
पाठकगण आपके क्या विचार है कृपया अवश्य ही अपनी प्रतिक्रिया देने का कष्ट करें।                                                                       -पराग सिंहल

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