भारत गणराज्यः संविधान समिति एक परिचय

जैसाकि सभी जानते है कि हमारा देश भारत 15 अगस्त 1946 को ब्रिटिश क्राउन की परतंत्रता से आजाद हुआ चूंकि आजादी के समय हमारे देश का कोई अपना संविधान नहीं था। अतः ब्रिटिश शासन की ओर से उनका ;अनुभवीद्ध प्रशासक को देश का बतौर राष्ट्रपति, गर्वनर जनरल के नाम से लाॅर्ड माउंट बेटन जो ब्रिटिश शासन के अंतिम वाॅयसराय थे को नियुक्त किया गया। साथ ही तत्कालीन शासकों ने यह निर्णय भी लिया कि भारत का संविधान लिखने और लागू होने तक भारत के राष्ट्रपति के रुप में लाॅर्ड माउंट बेटन गर्वनर जनरल के नाम से सत्ता को संवैधानिक संरक्षण प्रदान करेंगे और किसी भी प्रकार की विपत्ति में मार्गदर्शन के रुप में सलाह देते रहेंगेे।
संविधान सभा का गठनः
आजादी के पश्चात देश में एक संविधान सभा का गठन किया गया जिसके बारे में मैं अपने अध्ययन के अनुसार आपको परिचित करवाने का प्रयास कर रहा हूं।
देश की आजादी के समय हमारे देश में राज्य व्यवस्था तो थी परन्तु राज्य के अतिरिक्त प्रांत रियासतें आदि भी संचालित थी। यह भी बताना आवश्यक है कि उस समय हमारे देश में वह राज्य नहीं थे जो आज विद्यमान हैं। अतः संविधान सभा में देशभर का प्रतिनिधित्व प्रदान करने के उद्देश्य से उस समय कार्यरत 12 राज्य एवं 70 रियासतों का प्रतिनिधित्व दिया गया जिनकी कुल संख्या 30 हुआ करती थी।
इन 30 राज्य एवं रियासतों में थे: 1- मद्रास, 2- पूर्वी पंजाब 3-उड़ीसा 4- मैसूर 5- सौराष्ट्र 6- विंध्य प्रदेश 7-कच्छ 8- बम्बई 9- बिहार 10- दिल्ली 11-जम्मू एवं कश्मीर 12- राजस्थान  13- मध्य प्रांत की रियासतें 14- कूचबिहार 15- हिमाचल प्रदेश 16- पश्चिम बंगाल 17- मध्य प्रांत और बरार 18-अजमेर - मारवाड़ 19- त्रावणकोर - कोचीन, 20- पटियाला एवं पूर्वी पंजाब रियासत संघ 21- संयुक्त प्रांत की रियासतें 22- त्रिपुरा और मणिपुर 23- संयुक्त प्रांत 24-असम 25-कूर्ग, 26-मध्य भारत  27- बम्बई की रियासतें 28- मद्रास की रियासतें 29- भोपाल एवं 30- उड़ीसा की रियासतें।
इन राज्यों व रियासतों से गणमान्य एवं विद्वान व्यक्तियों को संविधान समिति में नामित किया गया। जोकि इस प्रकार से रही।
मद्रास राज्य से कुल 49 सदस्यों को नामित किया गया जिनमे प्रमुख रुप से सर्वश्री ओ. वी. अलगेसन, श्रीमती अम्मू स्वामिनाथन, मोतूरी सत्य नारायण, एन. गोपालस्वामी अय्यंगार, बी. पट्टाभि सीमारामैया, एन. संजीव रेड्डी (जो कि बाद में राष्ट्रपति भी निर्वाचित हुए) पी. सुब्बाराव आदि।
बम्बई राज्य से कुल 21 सदस्य थे जिनमेें प्रमुख रुप से श्रीमती दंसा मेहता, सर्वश्री बी. आर. अम्बेडकर, कन्हैयालाल नानाभाई देसाई, के. एम. मुंशी, नरहरि विष्णु गाडगिल, जी, वी. मावलंकर, वल्लभभाई जे. पटेल, अब्दुल कादर मोहम्मद शेख आदि थे।
पश्चिम बंगाल राज्य से कुल 19 सदस्य थे जिनमें प्रमुख रुप से सर्वश्री मनमोहन दास, अरुण कांत गुहा, मिहिर लाल चट्टोपध्याय, बसन्त कुमार दास, श्रीमती रेणुका रे, श्यामा प्रसाद मुखर्जी अब्दुल हलीम गजनवी आदि थे।
संयुक्त प्रांत राज्य से कुल 55 सदस्य थे जिनमें प्रमुख रुप से सर्वश्री दामोदर स्वरुप सेठ, फिरोज गांधी, गोपाल नारायण, गोविन्द बल्लभ पंत, हृदय नाथ कुंजरु, जवाहर लाल नेहरु, बी. वी. केसकर, श्रीमी कमला चैधरी, जे. बी. कृपलानी, पदमपत सिंघानिया, परागी लाल, पुरुषोत्तमदास टंडन, श्रीमती सुचेता कृपलानी, रफी अहमद किदवई आदि थे।
पूर्वी पंजाब से राज्य से कुल 12 सदस्य थे जिनमें प्रमुख रुप से सर्वश्री  बक्शी टेकचंद, ठाकुरदास भार्गव, यशवंत राम, सरदार बलदेव सिंह, सरदार हुकम सिंह, सरदार भूपिन्दर सिंह मान आदि थे।
बिहार राज्य से कुल 36 सदस्य थे जिनमें प्रमुख रुप से सर्वश्री अनुग्रह नारायण सिन्हा, ब्रजेश्वर प्रसाद, चंडिका राम, दीपनारायण सिन्हा, जगत नारायण लाल, जगजीवन राम, कामेश्वर सिंह ;दरभंगाद्ध राजेन्द्र प्रसाद, रामेश्वर प्रसाद सिन्हा, श्यामानन्दन सहाय, सैयद जफर इमाम, ताजमुल हुसैन आदि थे।
मध्य प्रांत और बरार राज्य से कुल 17 सदस्य  जिनमें प्रमुख रुप से सर्वश्री राजकुमारी अमृतकौर, ठाकुर छेदीलाल, हेमचन्द्र जागोबाजी खांडेकर, लक्ष्मण श्रवण भंटकर, पंजाबराव शामराव देशमुख, रविशंकर श्ुाक्ल आदि थे।
असम राज्य से कुल 8 सदस्य जिनमें प्रमुख रुप से सर्वश्री निवारण चन्द्र लश्कर, गोपीनाथ बारदोलोई, कुलाधार चलीहा, रोहिणी कुमार चैधरी, अब्दुल रौफ आदि थे।
उड़ीसा राज्य से कुल 9 सदस्य जिनमें प्रमुख रुप से सर्वश्री विश्वनाथ दास, लक्ष्मीनारायण साहु, नंदकिशोर दास, शान्तनु कुमार दास आदि।
अजमेर - मारवाड़  राज्य से मात्र एक सदस्य मुकुट बिहारी लाल भार्गव थे।
दिल्ली राज्य से मात्र एक सदस्य देशबन्धु गुप्त थे।
कुर्ग से श्री सी. एम. पुनांचा एक मात्र सदस्य ही थे।
मैसूर राज्य से मात्र 7 सदस्य जिनमें सर्वश्री के. चेंगलराय रेड्डी, टी. सिद्धलिंगय्या, एच आर गुरुव रेड्डी प्रमुख थे।
जम्मू एवं कश्मीर राज्य से भी मात्र 4 सदस्य सर्वश्री शेख मुहम्मद अब्दुला , मोतीराम बैगड़ा, मिर्जा मौहम्मद अफजल बेग, मौलाना मौहम्मद सईद मसूदी थे।
त्रावणकोर - कोचीन राज्य से भी 7 सदस्य सर्वश्री आर. शंकर, पी एस नटराज पिल्लई, ए. भानु पिल्लई, श्रीमती ऐनी मेस्करीन, के ए मोहम्मद, पी टी चैको एवं पी गोविन्द मेनन थे।
मध्य भारत राज्य से 7 सदस्य सर्वश्री वी एस सरवटे, ब्रजराज नाराण, गोपीकृष्ण विजयवर्गीय, राम सहाय, कुसुम कान्त जैन, राधा बल्लभ विजयवर्गीय, सीमराम एस जाजू थे।
सौराष्ट्र राज्य से भी मात्र 5 सदस्य समिति के सदस्य सर्वश्री  अलबप्त राय गोपालजी मेहता, जयसुखलाल हाथी, अमृतलाल विठ्ठलदास ठक्कर, चिमनलाल चाकूभाई शाह, सामलदास लक्ष्मीदास गांधी सदस्य थे।
राजस्थान राज्य से 11 सदस्य सर्वश्री हीरालाल शास्त्री, सरदार सिंह जी, खेतड़ी, राज बहादुर, माणिक्य लाल वर्मा, गोकुल लाल असाना व जय नारायण व्यास जी थे।
पटियाला एवं पूर्वी पंजाब राज्य से मात्र 3 सदस्य सर्वश्री रणजीत सिंह, सोचेत सिंह व भगवंत राय थे।
बम्बई रियासत से 8 सदस्य सर्वश्री विनायकराव बालशंकर वैद्य, बी एन मुनाबल्ली, गाोकुलभाई दौलतराम भट्ट, जीवराज नारायण मेहता, गोपालदास ठाकुरदास देसाई, प्राणलाल ठाकुरलाल मुंशी,बी एच खंडेकर एवं रत्नाप्पा भरमप्पा कुम्भार थे।
उड़ीसा रियासत से 5 सदस्य सर्वरी लाल मोहल पति, एन माधवराव, राज कुंवर, सारंगधर दास एवं युधिष्ठर मिश्र थे।
मध्य प्रांत की रियासतों से 3 सदस्य सर्वश्री आर एल मालवीय, किशोरी मोहन त्रिपाठी व रामप्रसाद पोटाई थे।
संयुक्त प्रांत की रियासतों से 2 सदस्य थे जिनमें सर्वश्री बी एच जैदी एवं कृष्णा सिंह थे।
मद्रास रियासतों से मात्र एक सदस्य वी. रामैया ही थे।
विंध्य प्रदेश राज्य से 4 सदस्य ही थे जिनमें सर्वश्री अवधेश प्रमाप सिंह, शम्भूनाथ शुक्ल, राम सहाय द्विवेदी थे।
कूचबिहार राज्य से मात्र एक सदस्य हिम्मत सिंह के. माहेश्वरी थे।
त्रिपुरा और मणिपुर राज्य से भी एक ही सदस्य  गिरिजा शंकर गुहा ही थे।
भोपाल राज्य भी एक ही सदस्य लाल सिंह ही थे।
कच्छ राज्य से एक सदस्य भी भवानी अर्जुन खिमजी, हिमाचल प्रदेश राज्य से एक सदस्य वाय एस. परमार थे।
संविधान को सृजन करने के लिए गठित की गई समितियां एवं उसके अध्यक्षः
1. प्रक्रिया विषयक नियमों संबन्धी समिति   अध्यक्ष राजेन्द्र प्रसाद
2. संचालन समिति        अध्यक्ष              राजेन्द प्रसाद
3. वित्त एवं स्टाफ समिति         अध्यक्ष              राजेन्द प्रसाद
4. प्रत्यय-पत्र संबन्धी समिति       अध्यक्ष अलादि कृष्णास्वामी अय्यर
5. आवास समिति                अध्यक्ष            बी पट्टाभिसीतारमैया
6. कार्य संचालन संबन्धी समिति        अध्यक्ष            केएम मुंशी
7. राष्ट्रीय ध्वज तदर्थ समिति   अध्यक्ष               राजेन्द्र प्रसाद
8. संविधान सभा के कार्यकरण संबन्धी समिति अध्यक्ष    जी वी मावलंकर
9. राज्यों संबन्धी समिति          अध्यक्ष              जवाहर लाल नेहरु
10. मौलिक अधिकार, अल्पसंख्यकों एवं
जनजातियों और अनवर्जित क्षेत्रों संबन्धी समिति   अध्यक्ष वल्लभभाई पटेल
11. मौलिक अधिकारों संबन्धी उपसमिति       अध्यक्ष जे बी कृपलानी
12. पूर्वोत्तर सीमांत जनजातिय क्षेत्रों और आसाम
के अपवर्जित और आंशिक रुप से अपवर्जित क्षेत्रों
संबन्धी समिति                     अध्यक्ष गोपीनाथ बारदोलोई
13. अपवर्जित एवं आंशिक रुप से अपवर्जित क्षेत्रों
;असम के क्षेत्रों को छोड़करद्ध संबन्धी उपसमिति अध्यक्ष ए वी टक्कर
14. संघीय शक्तियांे संबन्धी समिति अध्यक्ष जवाहर लाल नेहरु
15. संधीय संविधान समिति            अध्यक्ष जवाहर लाल नेहरु
16. प्रारुप समिति                      अध्यक्ष           बी आर अम्बेडकर
संविधान सभा की पहली बैठक का पहला दिन
संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसम्बर 1946 को नई दिल्ली के काॅन्स्टिट्शन हाॅल, जिसको कि अब ससंद भवन के केन्द्रीय कक्ष कहा जाता है, में आयोजित हुई। इस अवसर के लिए कक्ष को मनोहारी रुप से सजाया और संवारा गया। ऊँची छत से और दीवारगीरों से लटकती हुई चमकदार रोशनी की लडि़़यां एक नक्षत्र के समान दिख रही थीं। उत्साह और आनन्द से अभिभूत होकर माननीय सदस्यगण अध्यक्ष महोदय की आसंदी के समक्ष अर्धवृत्ताकार पंक्तियों में विराजमान थे। विद्युत के द्वारा गरम रखे जाने वाली मेजों को हरे कालीन से आवृत्त ढलवा चबूतरे पर लगाई गयी थी।
पहली पंक्ति में सर्वश्री जवाहर लाल नेहरु, मौलाना अबुल कलाम आजाद, सरदार बल्लभभाई पटेल, आचार्य जे बी कृपलानी, डाॅ. राजेन्द्र प्रसाद, श्रीमती सरोजनी नायडू, हरे कृष्ण मेहताब, पं. गोविन्द बल्लभ पंत, डाॅ. बी आर अम्बेडकर, शरत चन्द्र बोस, सी. राजगोपालाचारी और एम आसफ अली शोभायमान थे। नौ महिलाओं सदस्याओं सहित कुल 207 सदस्य बैठक में उपस्थित थे।
संविधान सभा का उद्घाटन सत्र
सभा का उद्घाटन मध्याह्न 11 बजे आचार्य जे बी कृपलानी द्वारा संविधान सभा के अस्थायी अध्यक्ष डाॅ. सच्चिदानंद सिन्हा के परिचय से प्रारम्भ हुआ  डाॅ. सिन्हा व अन्य उपस्थित सदस्यों के अभिवादन करते हुए आचार्य ने कहा कि -
‘जिस प्रकार हम प्रत्येक कार्य ईश्वर के आशीर्वाद से प्रारम्भ करते हैं, हम डाॅ. सिन्हा से इन आशीर्वाद का आवाह्न करने की प्रार्थना करते हैं ताकि हमारा कार्य सुचारु रुप से आगे बढ़े। अब, आपकी ओर से मैं एक बार फिर डाॅ. सिन्हा को पीठासीन होने के लिए आमंत्रित करता हूं।’’
अभिनन्दन के बीच पीठासीन होते हुए डाॅ. सिन्हा ने विभिन्न देशों से प्राप्त शुभकामना संदेशों का वाचन उपस्थित सदस्यों बीच किया। अध्यक्ष महोदय के उद्घाटन भाषण और उपाध्यक्ष के नाम-निर्देशन के पश्चात सदस्यों से अपने परिचय-पत्रों को प्रस्तुत करने का औपचारिक निवेदन किया गया।
समस्त उपस्थित 207 सदस्य द्वारा अपने-अपने परिचय-पत्र प्रस्तुत करने और रजिस्टर में हस्ताक्षर करने के पश्चात पहले दिन की कार्यवाही समाप्त हो गयी। कक्ष के सतह से लगभग 20 फिट ऊपर दीर्घाओं में बैठकर पत्रकारों और दर्शकों ने इस स्मरणीय एवं एतिहासिक दृश्य को प्रत्यक्ष रुप से देखा। आकाशवाणी के दिल्ली केन्द्र ने सम्पूर्ण कार्यवाही का एक संयुक्त ध्वनि चित्र प्रसारित भी किया।
कतिपय तथ्यः
संविधान सभा ने स्वतंत्र भारत के लिए संविधान का प्रारुप का सृजन करने के ऐतिहासिक कार्य को लगभग तीन वर्षों (दो वर्ष, ग्यारह माह और सत्रह दिन) में सम्पन्न किया।
इस अवधि के दौरान इसने ग्यारह सत्र आयोजित किये जो कि 165 दिनों तक चले। इनमें सो 114 दिन संविधान के प्रारुप पर विचार-विमर्श में बीते। संविधान सभा का संगठन केबिनेट मिशन के द्वारा अनुशंसित योजना के आधार पर हुआ। जिसमें सदस्यों को प्रांतीय विधान सभाओं के सदस्यों द्वारा अप्रत्यक्ष चुनाव के द्वारा चुना गया।
व्यवस्था का प्रकारः
1. 292 सदस्य प्रांतीय विधान सभाओं के माध्यम से निर्वाचित हुए।
2. 93 सदस्यों ने भारतीय शाही रियासतों का प्रतिनिधित्व किया।
3. चार सदस्यों ने मुख्य आयुक्त प्रांतों का प्रतिनिधित्व किया।
इस प्रकार सभा के कुल सदस्य 389 हुए तथापि 3 जून, 1947 की माउन्टबेटन योजना के परिणामस्वरुप विभाजन के पश्चात पाकिस्तान के लिए एक पृथक संविधान सभा का गठन हुआ और कुछ प्रांतों के प्रांतों का संविधान सभा से सदस्यता समाप्त हो गई। फलस्वरुप सभा की सदस्य संख्या घटकर 299 हो गई।
प्रस्तुत उद्देश्य संकल्प के बिन्दुः
13 दिसम्बर, 1946 को पंडित जवाहर लाल नेहरु ने उद्देश्य संकल्प प्रस्तुत किया।
1. यह संविधान सभा भारतवर्ष को एक स्वतंत्र संप्रभु तंत्र घोषित करने और उसके भावी शासन के लिए एक संविधान बनाने का दृढ़ और गम्भीर संकल्प प्रकट करती है और निश्चय करती है।
2. जिसमें उन सभी प्रदेशों का एक संघ रहेगा जो आज ब्रिटिश भारत तथा भारतीय राज्यों के अन्तर्गत आने वाले प्रदेश है तथा इनके बाहर भी इन्हें और राज्य और ऐसे अन्य प्रदेश, जो आगे स्वतंत्र भारत में सम्मिलित होना चाहेंगे, और
3. जिसमें उपर्युक्त सभी प्रदेशों को, जिनकी वर्तमान सीमा ;चैहदीद्ध चाहे कायम रहे या संविधान-सभा और बाद में संविधान के नियमानुसार बने या बदले, एक स्वाधीन इकाई या प्रदेश का दर्जा मिलेगा व रहेगा। उन्हें वे सब शेषाधिकार प्राप्त होंगे जो संघ को नहीं सौंपे जाएंगे और वे शासन तथा प्रबंध सम्बन्धी सभी अधिकारांे का प्रयोग करेंगे और कार्य करेंगे सिवाय उन अधिकारों और कार्यों के जो संघ को सौंपे जाएंगे अथवा जो संघ में स्वभावतः निहित या समाविष्ट होंगे या जो उससे फलित होंगे, और
4. जिससे संप्रभु स्वतंत्र भारत तथा उसके अंगभूत प्रदेशों और शासन के सभी अंगों की सारी शक्ति और सत्ता (अधिकार) जनता द्वारा प्राप्त होंगे, और
5. जिसमें भारत के सभी लोगों (जनता) को राजकीय नियमों और साधारण सदाचार के अध्यादेश सामाजिक, आर्थिक व राजनैतिक न्याय के अधिकार, वैयक्तिक स्थिति व अवसर की तथा समक्ष समानतमा के अधिकार और विचारों की, विचारों को प्रकट करने की, विश्वास व धर्म की, ईश्वरोपसना की, काम-धन्धे की, संघ बनाने व काम करने की स्वतंत्रता के अधिकार रहंेगे और माने जाएंगे, और
6. जिसमें सभी अल्प-संख्यकों के लिए, पिछड़े व आदिवासी प्रदेश के लिए तथा दलित और अन्य पिछड़े वर्गो के लिए पर्याप्त सुरक्षापाय रहेंगेः और जिसके द्वारा इस गणतंत्र के क्षेत्र की अखंडता (आन्तरिक एकता) रक्षित रहेगी और जल, थल और हवा पर उसके सब अधिकार, न्याय और सभ्य राष्ट्रों के नियमों के अनुसार रक्षित रहेंगे, और
7. यह प्राचीन देश संसार में अपना उचित व सम्मानित स्थान प्राप्त करता है और संसार की शक्ति तथा मानव जाति का हित साधन करने में अपनी इच्छा से पूर्ण योग देता है।
प्रस्तु यह संकल्प संविधान सभा द्वारा 23 जनवरी, 1947 को सर्वसम्मति से स्वीकार किया गया था। 14 अगस्त 1947 की देर रात सभा केन्द्रीय कक्ष में समवेत हुई और ठीक मध्यरात्रि में स्वतंत्र भारत की विधायी सभा के रुप में कार्यभार ग्रहण किया।
प्रारुप समिति का गठनः डाॅ. बी. आर. अम्बेडकर की अध्यक्ष निर्वाचित- 
29 अगस्त 1947 को संविधान सभा ने भारत के संविधान का प्रारुप तैयार करने के लिए डाॅ. बी. आर. अम्बेडकर की अध्यक्षता में प्रारुप समिति का गठन किया। संविधान सभा के प्रारुप पर विचार-विमर्श के दौरान सभा पटल पर रखे गये कुल 7635 संशोधनों में से लगभग 2473 संशोधनों को प्रस्तुत किया, परिचर्चा कर एवं निपटारा किया गया।
संविधान को अंगीकृत करनाः
26 नवम्बर, 1949 को भारत का संविधान अंगीकृत किया गया और 24 जनवरी 1950 को माननीय सदस्यों ने उस पर अपने हस्ताक्षर किये। कुल 284 सदस्यों ने वास्तविक रुप में संविधान सभा पर हस्ताक्षर किये। जिस दिन संविधान पर हस्ताक्षर किये जा रहे थे बाहर हल्की-हल्की बारिश हो रही थी, जिसको सदस्यों ने प्रकृति का बहुत ही शुभ संकेत माना।
26 जनवरी, 1950 संविधान लागूः
26 जनवरी, 1950 को भारत का संविधान देश में लागू किया गया। उस दिन संविधान सभा का अस्तित्व समाप्त हो गया
अस्थायी संसद का गठनः
सन् 1952 में संविधान सभा के सभी सदस्यों को नई संसद के चुनाव सम्पन्न होने तक अस्थायी संसद के रुप में गठित मानी गई और देश की सर्वोच्च संस्था के रुप में कार्यभार ग्रहण कर देश की सत्ता का संचालन किया।

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