वाणिज्य कर : विभाग के कम्प्यूटराइजेशन की ओर बढ़ते कदम, परन्तु!

विगत अक्टूबर 2013 से विभाग लगातार कम्प्यूटराइजेशन की ओर बढ़ रहा है, बधाई हो। परन्तु यहां पर हमारे मन कुछ शंका बलबती हो रही है, क्या विभाग इसको शांत कर पाएगा।
कम्प्यूटराइजेशन की दिशा में विभाग ने आयात घोषणा पत्र को ई-संचरण का नाम दिया, उधर पंजीयन को ई-पंजीयन का नाम दिया और संदेश देने की कोशिश की प्रदेश के व्यापारियों को विभाग से जुड़ने के लिए विभाग में आने के बजाय कम्प्यूटर पर ही पंजीयन प्राप्त कर आपना व्यापार प्रारम्भ करें।
अभी हाल ही में कमिश्नर महोदय ने एक परिपत्र जारी कर कहा कि वर्ष 2013-14 के पांच एवं त्रैमासिक तौर गुणात्मक दृष्टि से अच्छे कर निर्धारण आदेशों को विभागीय वेबसाइट पर अपलोड किये जाएंगे। निःसंदेह उद्देश्य यही होगा कि अन्य अधिकारी भी उनसे प्रेरणा लें और कार्यप्रणाली में सुधार लाएं, साथ ही भविष्य में पारित किये जाने वाले निर्धारण आदेश गुणवत्ता के हों। पुनः बधाई। 
परन्तु, जारी परिपत्र (सं0-141005) में गुणात्मक निर्धारण आदेशों के लिए चयन की जो प्रक्रिया अपनाने के निर्देश जारी किये हैं उनमें बिन्दु सं0 2 के अंत में कहा है कि आईटीसी के दावों को प्रभावी जांच कार्यवाही से अस्वीकार करते हुए तथ्यों का उल्लेख करें। इससे संभवतः यह स्पष्ट हो रहा है कि आईटीसी क्लेमों को अस्वीकार करने की मंशा तो नहीं है? ऐसे ही बिन्दु सं0-4 व 5 में कुछ ऐसा ही उल्लेख है। हम महोदय के आदेश की मंशा पर कोई शंका अथवा आपत्ति व्यक्त नहीं कर रहे हैं परन्तु हम यह अवश्य कहना चाहेंगे कि विभाग ने कर निर्धारण अधिकारियों को एक खुला अधिकार दे रखा है वह है ‘सर्वोत्तम न्याय एवं विवेक के आधार पर’। इस अधिकार को प्रयोग करने में शायद ही कोई अधिकारी गुरेज करता हो। और ऐसे निर्देशों के साथ उनका न्याय एवं विवेक और अधिक जाग्रत हो जाएगा।
हमारा यह भी सुझाव है कि क्या विभाग ऐसा कोई साॅफ्टवेयर विकसित नहीं कर सकता जिसमें ऐसी व्यवस्था हो कि व्यापारी द्वारा अपलोड किये जाने वाले समस्त रिटर्न आदि की गणना कर स्वतः ही ‘कर निर्धारण कर दे, निश्चय ही यदि ऐसा साॅफ्टवेयर विकसित कर दिए जाने पर विभागीय अधिकारियों व कर्मचारियों पर कार्य का बोझ कम हो सकेेगा और विभाग की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता भी बढ़ेगी। और विभाग अथवा व्यापारी की ओर से दायर किये जाने वाले विभिन्न स्तरों पर कोर्ट केसों में भी कमी आएगी तो विभाग पर पड़ने वाले कोर्ट के खर्च भी घटेगा। 
अतः हमारी कमिश्नर महोदय से अपील है कि आप इस ओर भी विचार करते हुए विभाग को एक नायाब तोहफा दें ताकि व्यापारी और विभाग आपके कार्यकाल को याद रखें।              -पराग सिंहल

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