आगरा से बासुदेव और कृष्ण के सम्बन्ध और यादव वंश की उत्पत्ति -

आगरा के एक इतिहासकार डाॅ. आर. नाथ अपनी पुस्तकों में लिखते हैं कि ईसा से पूर्व दूसरी तथा तीसरी शताब्दी में आगरा का सम्बन्ध बासुदेव और कृष्ण से सम्बन्ध था, इस मेरा विचार है कि पुराणों व भगवत् गीता के अनुसार महाभारत आज से लगभग 5300 वर्ष पूर्व हुआ था और वासुदेव पुत्र भगवान श्री कृष्ण ने महाभारत में पाण्डवों की ओर अर्जुन के सारथी के रुप में युद्ध लड़ा था, तब प्रश्न यह उठता है कि वासुदेव व कृष्ण का सम्बन्ध ईसा से पूर्व दूसरी तथा तीसरी शताब्दी में कहाँ हो सकता है। हाँ कृष्ण के पिता वासुदेव का सम्बन्ध आगरा से हो सकता है क्योंकि आगरा के पूर्व में स्थित वर्तमान में बटेश्वर वहीं  बासुदेव का राज्य था।
यादव वंश की उत्पत्ति बटेश्वर से हुई:  इसके विषय में इस में कुछ जगह उल्लेख मिलता है कि वासुदेव और श्री कृष्ण के सम्बन्ध में आगरा के ही इतिहासकार डा0 प्रणवीर सिंह चैहान द्वारा सम्पादित पुस्तक ‘‘समयचक्र आगरा’’ में आगरा के बारे में विस्तृत जानकारी देने का प्रयास किया है। वे अपनी पुस्तक के पृष्ट संख्या 27 पर एक वंश तालिका दी है जिसमें उन्होनें बताया है कि बटेश्वर राज्य में श्री वृषभ नाथ ;इक्ष्वाकुवंशद्ध की पत्नी महारानी सुनन्दा के पुत्र बाहूबलि के पुत्र चन्द्रकीर्ति ;सोमवंशद्ध के पुत्र हरि सन्तान ;हरिवंशद्ध से दो शाखाएंे चली जिसमें एक मागधी शाखा दूसरी अंग्ड़ शाखा हुई। इस अंग्ड़ शाखा में श्री मुनि सुब्रत नाथ की तीर्थ में यदु वंश प्रारम्भ हुआ। इसने पुत्र राजा नरपति के दो पुत्र हुए एक शूर दूसरे सुवीर। राजा शूर ने बटेश्वर में राज्य किया और राजा सुवीर ने मथुरा पर। लेखक ने राजा शूर के पुत्र  वासुदेव को बताया है और राजा सुवीर के तीन पुत्र हुए जिनमें उग्रसेन, महासेन, देवसेन हुए। उग्रसेन ने मथुरा पर राज्य किया और पुत्री देवकी और पुत्र कंस और राजुल के पिता थे। इस प्रकार हम वासुदेव और श्री कृष्ण का सम्बन्ध आगरा से मान सकते है। हाँ! चैथी शताब्दी में आगरा पर अर्जुनायन वंश ने राज किया था, अर्जुनायन नाम से अर्जुन का नाम से सम्बन्ध जुड़ता दिखायी देने से यह माना जा सकता है। यह अर्जुनायन वंश अर्जुन के वंशज हो सकते थे। 

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