गौरवशाली रहा है अग्रवालों का इतिहास

आगरा और अग्रवालों का प्राचीन इतिहास गौरवाशाली रहा है। आगरा और अग्रवालों के आपसी संबन्ध का यदि इतिहास के संबन्ध में गौर करें तो आज भी यह तथ्य मिलता है कि अग्रवाल अर्थात आगरा$वाला अर्थात ‘अग्रवाल’। अग्रवाल नाम अग्रकुल प्रवर्तक महाराजा अग्रसेन से जुड़ा है। इस संबन्ध में मैं अपने कथन का बल देना चाहता हूं कि भारत में प्राचीन काल से ही यह परम्परा रही है कि व्यक्ति व परिवार के कुल का नाम उसके निवास स्थान के नाम से प्रचलित हुआ करता था जैसे एक सिक्ख संत हुए हैं जिनका नाम ‘लोंगोवाल’ था अर्थात वह पंजाब के ‘लोंगोंवाल’ ग्राम के रहने वाले थे, ऐसे ही लोहिया जाति का नाम भी आपने सुन रखा होगा हरियाणा में ‘लौहू’ गांव है वहां के निवास ‘लोहिया कहलाए। इसी प्रकार आगरा के रहने वाले ‘अग्रवाल’ कहलाते हैं।
यदि हम सरकारी गजटों में व विभिन्न इतिहासकारों तथा भारतीय पुरात्तव सर्वेक्षण के द्वारा जारी आगरा के परिचय संबन्धी पुस्तकों का अध्ययन करें तो आगरा शहर को स्थापित हुए लगभग 5200 वर्ष से भी अधिक हो चुके हैं। महाभारत काल में आगरा को शूरसेन प्रदेश कहा जाता था। प्रदेश सरकार द्वारा 1965 में प्रकाशित आगरा गजेटीयर और ईसा बंसती जोशी ;आईएएसद्ध द्वारा लिखित ‘उत्तर प्रदेश गजेटियर आगरा’ में उल्लेख है कि प्राचीन काल में आगरा ‘अग्रवन’ था। 
महाभारत काल में मथुरा के आसपास चैदह वन हुआ करते थे। जिनमें वृंदावन, महावन ;वर्तमान में जनपद मथुरा की एक तहसीलद्ध, मयूरवन ;मुरैनाद्ध, काम्यक वन, भद्रवन ;भदावरद्ध, वृहदवन, बिल्ववन ;वर्तमान में आगरा के पूरवोत्तर में बलकेश्वरद्ध, कुमुदवन, बहुलायवन, गहवरवन ;बरसानाद्ध, कोकिलवन ;वर्तमान में कोसीकलांद्ध , भांडिरवन और अग्रवन। यही अग्रवन ‘आगरा’ हुआ करता था। यदि हम आगरा  की अंग्रेजी में स्पेलिंग का अध्ययन करें तो ।ळत्। जिसको ‘आग्रा’ कहा जाता है। 
आज से पांच हजार वर्ष पूर्व महाराजा अग्रसेन जी द्वारा आगरा को बसाया गया। परन्तु इसके लिखित प्रमाण अभी उजागर नहीं हो पा रह हैं। अतः विभिन्न लेखकों के द्वारा इस तथ्य को स्वीकार नहीं जा रहा हैै परन्तु जैसा कि मैंने ऊपर उल्लेख किया है कि आगरा और अग्रवालों के इतिहास के संबन्ध में गौर करें तो आज भी यह प्रमाण मिलता है कि अग्रवाल अर्थात आगरा$वाला अर्थात ‘अग्रवाल’। 
इतिहास में जिक्र आया है कि महाराजा अग्रसेन की शासन व्यवस्था उनकी गणपरिषद संभालती थी। जिनमें 18 मंत्रीगण विभिन्न विभागों का कार्य का संपादन करते थे। इन्हीं 18 मंत्रियों के नामों पर आज भी अग्रवालों में 18 गौत्र चले आ रहे हैं। जबकि महाराजा अग्रसने जी स्वंय गर्ग गोत्री थे। इसके अतिरिक्त कुछ विद्वानों का यह भी मानना है कि अग्रवालों में पाये जाने वाले 18 गौत्र उनके पुत्रों द्वारा अश्वमेघ यज्ञ में मनाये गये 18 वेदियों में नाम पर प्रचलित हैं। महाराजा अग्रसेन ने राजतंत्र व्यवस्था को तोड़ते हुए अपने राज्य में गणतंत्र व्यवस्था की नींव रखी। साथ ही महाराजा अग्रसेन ने ही समाजवादी नीति की भी संरचना की। जिसमें उनके द्वारा सूत्र दिया गया कि आगरा और आगरोहा ;वर्तमान में अग्रोहाद्ध नगर में अपने वाले प्रत्येक परिवार को नगर में पूर्व से रहने वाले प्रत्येक परिवार से एक रुपया - एर्क इंट का योगदान दिया जाएगा जो परम्परा आज भी कायम है परन्तु उसका स्वरुप बदल चुका है आज शादी-विवाहों व अन्य धार्मिक कार्यक्रमों में प्रचलन में जोकि आज अन्य समाजों में भी यह परम्परा प्रभावी है।
आगरा के ही प्रसिद्ध इतिहासकार प्रो. आर. नाथ द्वारा लिखित आगरा एडं इट्स मोनूमेन्टस् में आगरा की प्राचीनता को सिद्ध किया गया है। ईबी हावेल द्वारा लिखित ऐ हैण्डबुक आगरा एंड ताज में लिखा है कि आगरा महाभारत काल से है। स्टेटिकल डिस्क्रिप्टिव एडं हिस्टोरिकल एकाउंट आॅफ द नाथ वेस्टर्न प्रोविन्स आॅफ इण्डिया वाॅल्यूम एट्थ फर्रुखाबाद एडं आगरा में एफ. एच. फिशर, ईटी अटकिर्शन, एच. सी. कोनीबीरे ने भी माना है कि आगरा महाभारत काल से है। वे लिखते है कि वर्तमान आगरा किला का पूर्व नाम बादलगढ़ था। वे यह भी लिखते है कि आगरा से आठ या दस मील दूर उत्तर-पूर्व दिशा में ‘अगवार’ नाम का छोटा कस्बा था जिसके मूल निवासी अग्रवाल हुआ करते थे। इंपीरियल गज़ट आॅफ इण्डिया के हवाले से कहा गया है कि सन् 1194 में जब मुहम्मद गौरी ने ‘आगरोहा’ पर आक्रमण कर कब्जा कर लिया था। एक अतिहासकार आरके अरोड़ज्ञ अपने पुस्तक में लिखते हैं कि आगरा से पूर्व दिशा की ओर एक कस्बा है जिसका नाम फतेहाबाद है जहां अग्रवाल परिवार बहुतायत संख्या में निवास करते थे परन्तु जब मौहम्मद गौरी के आक्रमण पर वह परिवार कस्बे के पास बह रही यमुना नदि के रास्ते से नगर छोड़कर चले गये । इस तथ्य से मैं सहमत नहीं हूं। इस उत्तर मैं आपको अगले पैरा में देने का प्रयास कर रहा हूं।
इस मेरा मानना है कि इंपीरियल गज़ट आॅफ इण्डिया में जिस ‘आगरोहा’ का जिक्र किया गया है उसका सम्बन्ध अग्रोहा है जो कि वर्तमान में भारत का राज्य हरियाणा में नेशनल हाई-वे पर स्थित है, वहाँ पर अग्रवाल पूर्वज महाराजा अग्रसेन जी राज्य था। आगरा के साथ अग्रोहा राज्य के निवासी अग्रवाल कहलाते थे। अग्रोहा कस्बें में भारत सरकार के पुरातत्व विभाग द्वारा किये गये उत्खनन में इसके प्रमाण मिले है। विभिन्न इतिहासकारों ने यह प्रमाणित किया है कि अग्रोहा राज्य पर 1194 में मुहम्मद गौरी ने आक्रमण कर कब्जा कर लिया था। जिसमें इंदोर की श्रीमति स्वराज मणि व जींद के स्व0 श्री वृन्दावन कानूनगो द्वारा लिखित अग्रवालों व अग्रोहा के इतिहास में इसका जिक्र किया है। हाँ! इसमें इतिहासकार ने इस बात का अंदाजा लगा लिया होगा कि वर्तमान में आगरा के पूर्व-दक्षिण में आज भी फतेहाबाद कस्बा है ;जहाँ पर वर्तमान काल में अग्रवालों का तो कम ही है परन्तु माथुर वैश्यों का बहुतायत हैद्ध, वह इस बात का अंदाजा नहीं लगा पाये कि फतेहाबाद हरियाणा का जिला है और अग्रोहा इसी नेशनल हाई-वे पर बसा है। हाँ ‘आगरोहा’ ;वर्तमान मंे अग्रोहाद्ध का पूर्व नाम था जोकि बिगड़ कर अग्रोहा हो गया, इस तथ्य पर किसी भी इतिहासकार ने विचार नहीं किया।
आगरा अग्रवालों का गढ़ आज भी है। इस तथ्य को भी देखना होगा कि पुराने आगरा जिसमें रावतपाड़ा, सेठगली, बेलनगंज, फुलट्टी बाजार, कचैड़ा बाजार, फ्रीगंज, नूरी दरवाजा आदि प्राचीन बस्तिायों में अग्रवाल परिवार बहुतायत हैं। वर्तमान परिस्थितिओं में यह परिवार नई बसायी गई काॅलोनियों जैसे कमला नगर, विभव नगर, विजय नगर कौलोली में बस गये यह तथ्य यह दर्शाता है कि आगरा में अग्रवालों का प्रारम्भ से प्रभुत्व रहा है।
आगरा के अग्रवालों का प्रत्येक क्षेत्र में गहरा संबन्ध रहा है, चाहे वह सामाजिक क्षेत्र हो या व्यासायिक हो या धार्मिक क्षेत्र हो, हां! आगरा से निकले अग्रवाल परिवारों ने धर्म और समाज के क्षेत्र में गहरा योगदान देकर देश की राष्ट्रीय एकता व अखंडता को भी मजबूत बनाने में गहरा योगदान दिया, यहां तक देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में भी एक महती भूमिका अदा की। यदि हम ध्यान दे ंतो आगरा के अग्रवाल परिवार ही देश के अन्य क्षेत्रों में जाकर अपना योगदान रहे है। हम इस क्षेत्र में प्रमुख रुप से डा. वीडी अग्रवाल, भारत भूषण गोयल, राकेश मंगल आदि बहुत से का नामों का भी उल्लेख किया जा सकते हैं। सेवा के क्षेत्र में क्षेत्र बजाजा समिति का उल्लेख करना नहीं भूलना चाहिए जिसमें सुनील विकल व अशोक गोयल जी का नाम नहीं भुलना चाहिए।
 

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